बड़ी उम्मीदों के साथ जिला अस्पताल आया था बंशीधर
देवीलाल गुप्त, संतकबीर नगर बरहटा निवासी बंशीधर ने सीने में दर्द शुरू होने पर खुद ही परिवार के लोगो
देवीलाल गुप्त, संतकबीर नगर
बरहटा निवासी बंशीधर ने सीने में दर्द शुरू होने पर खुद ही परिवार के लोगों को इलाज के लिए जिला संयुक्त चिकित्सालय ले जाने की बात कही थी। शायद उसे यह नहीं पता था कि यहां डाक्टर और फार्मासिस्ट के लिए चाय की चुस्कियां किसी की जान से अधिक महत्वपूर्ण हैं। डाक्टरों की लापरवाही से आखिरकार बंशीधर को जान से हाथ धोना पड़ा।
बंशीधर की शादी 19 अप्रैल 2012 को ग्राम बेलौहा निवासिनी पूजा से हुई थी। उसकी तीन बेटियां हैं। बंशीधर मुंबई के एक अग्निशमन यंत्र बनाने वाली कंपनी में कार्य करता था। कुछ दिन पहले ही वह परिवार की देखभाल के लिए वापस आया था। सीने में दर्द आरंभ होने पर उसने पिता से इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल को छोड़कर जिला अस्पताल ले जाए जाने की सलाह दी थी। घर से निकलने पर लगभग सामान्य सी दिखने वाली बीमारी से उसके जीवन का अंत हो गया। पति की मौत को लेकर पत्नी पूजा ने कहा कि उसे नहीं पता था कि ¨जदगी और मौत से संघर्ष कर रहे व्यक्ति को राहत देने से पहले डाक्टर खुद की सेवा में लगे रहेंगे। पूजा ने रोते हुए कहा कि यदि डाक्टर सक्रिय रहते तो उसके पति की मौत नही होती। अब उसके कंधों पर पुत्रियों की देखभाल करने की जिम्मेदारी है। पूजा ने यह भी कहा कि परिवार के लोग गोरखपुर में दिखाने की बात कह रहे थे पर बंशीधर ने कहा था कि जिला अस्पताल में एक से अधिक डाक्टर होने से जल्द ही उसे जल्द राहत मिल सकती है। उसकी मौत से परिवार के लोग बुरी तरह से परेशान होकर कुदरत के कारनामे को कोस रहे हैं।