आखिर यहां कैसे बन पाएगा प्रदूषण प्रमाणपत्र
जनपद में एक लाख 65 हजार दो सौ 33 दोपहिया और चार पहिया वाहन रजिस्टर्ड हैं। इनकी फिटनेस जांचने के लिए सिर्फ दो केंद्र हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यहां के वाहनों को प्रदूषण मुक्त का प्रमाण पत्र मिलता होगा। जवाब है नहीं। सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों का जहरीला धुंआ वातावरण को पूरी तरह से प्रदूषित कर रहा है।
संतकबीर नगर:जनपद में एक लाख 65 हजार दो सौ 33 दोपहिया और चार पहिया वाहन रजिस्टर्ड हैं। इनकी फिटनेस जांचने के लिए सिर्फ दो केंद्र हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यहां के वाहनों को प्रदूषण मुक्त का प्रमाण पत्र मिलता होगा। जवाब है नहीं। सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों का जहरीला धुंआ वातावरण को पूरी तरह से प्रदूषित कर रहा है। यहां कबीर प्रदूषण जांच केंद्र और अग्रहरि जांच केंद्र हैं। हर दिन बड़ी संख्या में वाहनों के आने से लोगों को नंबर लगाकर वापस लौटना पड़ता है। नतीजा होता है कि बिना प्रमाणपत्र के ही गाड़ियां चल रही हैं।
पचपोखरी निवासी बब्लू ने कहा कि जांच केंद्र नहीं होने से सभी को दूसरे जिलों से प्रमाणपत्र बनवाना पड़ता है। इससे पंजीकरण का नवीनीकरण करवाने में भी दिक्कत होती है।
परजूडीह निवासी भृगु ने कहा कि अक्सर ही जांच के दौरान गाड़ियों से फिटनेस की मांग की जाती है। जिले में सुविधा है ही नहीं और जांच में परेशान किया जाता है।
ट्रक मालिक राजू ने बताया कि ट्रक और ट्रेलर आदि के प्रदूषण जांच की सुविधा ही उपलब्ध नहीं है। इसे लेकर कई बार दो से तीन दिन तक गाड़ी को रोकनी पड़ जाती है। बघुआ निवासी बालरूप कन्नौजिया ने कहा कि फिटनेस नहीं बन पाने से नई दो तीन वर्ष पुरानी गाड़ी लेकर चलने वालों को भी परेशान होना पड़ता है। जाम आदि में पुरानी गाड़यिों के धुंए से खड़ा होना कठिन हो जाता है।
एआरटीओ अन्नजेश सिह ने कहा कि जिले में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाने के लिए शासन स्तर पर पत्र भेजा गया है। इसके लिए प्रमाणपत्र निदेशालय से मिलता है।