211 मामले लंबित, 340 पर जुर्माना
राज्य सूचना आयोग के आयुक्त राजकेश्वर ¨सह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में गुरुवार को जन सूचना अधिकार अधिनियम(आरटीआइ)-2005 के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में जन सूचना अधिकारियों को अधिनियम के बारे में बताया गया।
संतकबीर नगर: राज्य सूचना आयोग के आयुक्त राजकेश्वर ¨सह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में गुरुवार को जन सूचना अधिकार अधिनियम(आरटीआइ)-2005 के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में जन सूचना अधिकारियों को अधिनियम के बारे में बताया गया। कब और किस स्थिति में किस प्रावधान का उपयोग किया जाना है, इसके अलावा अन्य ¨बदुओं से अवगत कराया गया। तीन घंटे तक चले प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यह रहा कि आरटीआइ के मामलों का अपीलीय अधिकारी समय से निस्तारण करें ताकि मामले लटके न रहे और अधिकारी जुर्माना से बच सकें।
राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ने कहाकि अप्रैल-2018 तक इस जनपद में आरटीआइ के कुल 211 मामले लंबित हैं जबकि वर्ष 2010 से अब तक 340 अधिकारियों पर समय से सूचना न देने पर जुर्माना लग चुका है। ये आंकड़े स्वयं बताते हैं कि कहीं न कहीं शिथिलता जरुर बरती जा रही है। समय से सूचना न देने के कारण आयोग के पास लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसलिए प्रदेश स्तर पर यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है ताकि इस स्थिति में सुधार हो। चूंकि अधिकारी अपने विभाग के अन्य कर्मियों से जानकारी नहीं लेते, इसके कारण मामले लंबित होते हैं और इसके कारण इन पर जुर्माना लग जाता है। स्टेट रिसोर्स पर्सन राहुल ¨सह ने आरटीआइ के अधिनियमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी, अधिकारियों से अधिनियमों के बारे में पूछा भी। इन्होंने कहाकि पारदर्शिता और जवाबदेही तय कर भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए 12 अक्टूबर 2005 से यह एक्ट लागू है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, स्वीडन सहित अन्य देशों में भी अलग-अलग नाम से यह एक्ट पहले से लागू है। सेक्शन 4(1)ए के तहत डाक्यूमेंट को व्यवस्थित करना, सेक्शन 4(1)बी के तहत मैनुअल सहित अन्य ¨बदु के बारे में, सेक्शन 4(2)के तहत किसी विषय वस्तु से संबंधित आवेदन प्राप्त करना, सेक्शन 5 के तहत प्राधिकरण में कम से एक पीआइओ(जन सूचना अधिकारी) व इससे अधिक पीआइओ की प्राप्ति के लिए अनुमोदन लिया जा सकता है। वहीं सेक्शन 5(4)के तहत सूचना प्राप्त करने की कार्यवाही होती है। तय अवधि में सूचना न देने पर जुर्माना लगता है। तहसीलदार धनघटा वंदना पाण्डेय ने पूछा कि सूचना प्राप्त करने के लिए तहसील के संबंधित बाबू को कह दिया जाता है, क्या वे 5(4) व 5(5) के तहत इनसे सूचना प्राप्त करेंगे ? इस पर आयुकत ने कहाकि मौखिक में कुछ भी नहीं होना चाहिए, लिखा-पढ़ी में सूचना मांगने की कार्यवाही की जानी चाहिए, वह आरटीआइ के प्रावधानों के अनुरूप। स्टेट रिसोर्स पर्सन ने आगे कहाकि आरटीआइ का कुछ लोग दुरूपयोग भी कर रहे हैं, इस पर विराम लगाने की भी व्यवस्था है। ऐसे आवेदनों को विस्तृत कारण दर्शाते हुए स्थगित किया जा सकता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीएम भूपेंद्र एस चौधरी, सीडीओ हाकिम ¨सह, एएसपी असित कुमार श्रीवास्तव, एडीएम वित्त एवं राजस्व रणविजय ¨सह, सीएमओ डा.एसी श्रीवास्तव के अलावा अन्य अधिकारी मौजूद रहे।