सोमवती अमावस्या:श्रद्धालुओं ने किया दान-पुण्य
संतकबीर नगर: सोमवती अमावस्या पर्व पर सोमवार को आस्थावान श्रद्धालुओं ने स्नान, ध्यान कर दान-पुण्य
संतकबीर नगर:
सोमवती अमावस्या पर्व पर सोमवार को आस्थावान श्रद्धालुओं ने स्नान, ध्यान कर दान-पुण्य किया। पर्व लोगों ने जहां नदियों, सरोवर में डुबकी लगाई वहीं विधिविधान पूर्वक व्रत का अनुष्ठान कर परिक्रमा व स्तुति के साथ पूजन-अर्चन किया। सनातन धर्म के लोगों का मानना है कि यह अमावस्या शुभ व सर्व श्रेष्ठ है इस दिन पूजन से सुख, समृद्धि के साथ ऋद्धि-सिद्धि, की मंगल कामना की पूर्ति होती है।
भारतीय संस्कृति में पर्व व उत्सव का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। स्त्रियां कभी भाई तो कभी पति तो कभी संतानों के लिए व्रत का अनुष्ठान कर उनके दीर्घायु की कामना करती है। उसी में सोमवती अमावस्या है इस दिन नदियों में स्नान, तीर्थों स्थल में दर्शन तथा पूजन अर्चन व दान पुण्य का विशेष महात्म है।
वैसे तो प्रत्येक मास में एक बार अमावस्या आती व प्रत्येक सप्ताह में एक दिन सोमवार का होता है, लेकिन ऐसा संयोग बहुत कम ही होता है कि जब सोमवार को अमावस्या रहती हो। धर्म ग्रंथें में उल्लेखित है कि सोमवार को बड़े भाग्य से अमावस्या पड़ती है। इस दिन गंगा, यमुना आदि नदी व तीर्थों में स्नान गौ दान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्ण आदि का दान तथा यज्ञ, कथा आदि का विशेष महत्व है। आस्थावानों ने नदी, सरोवर, कूआं आदि स्थानों पर स्नान-ध्यान कर भगवान शंकर, पार्वती व तुलसी की पूजा किया। महिलाओं ने पीपल के वृक्ष कर परिक्रमा व स्तुति कर प्रदक्षिणा के रूप में 108 फल रखकर उसका दान किया। कुछ स्थानों पर व्राह्मण को भोजन कराकर निर्धनों को भी भोजन कराया गया।
विद्वानों व जानकारों के अनुसार इस दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गोदान का पुण्य फल मिलता है। यह स्त्रियों का प्रमुख व्रत है। सोमवार चंद्रमा व शिव जी का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य व चन्द्र एक सीध में स्थित रहते है। इसलिए पुण्य फल की प्राप्ति निश्चित रहती है। यह अमावस्या पूर्ण रूप से शिवजी को समर्पित होती है। इस दिन तैल स्पर्श निषेध माना जाता है। महिलाओं द्वारा यह पर्व श्रद्धा व उमंग के साथ मनाया गया।