किसी कौम या मजहब की भाषा नहीं है उर्दू: मुशीर खां
सम्भल अल्लामा इकबाल फाउंडेशन सम्भल के तत्वावधान में अल्लामा इकबाल के जन्मदिवस के अवसर पर नगर के अल कदीर इंटर कालेज में नातिया मुकाबले का आयोजन किया गया।
सम्भल: अल्लामा इकबाल फाउंडेशन सम्भल के तत्वावधान में अल्लामा इकबाल के जन्मदिवस के अवसर पर नगर के अल कदीर इंटर कालेज में नातिया मुकाबले का आयोजन किया गया, जिसमें जनपद के कई इंटर कालेज के छात्रों ने प्रतिभाग किया। साथ ही वक्ताओं ने उर्दू भाषा के बारे में छात्रों को जानकारी दी।
मुकाबले का आगाज तिलावते कलामे पाक से हुआ। इसके बाद बच्चों ने नात पेश की और लोगों की वाहवाही लूटी। मुकाबले में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को इनाम दिया गया। मुख्य अतिथि मुशीर खां ने कहा कि अल्लामा इकबाल उर्दू के सूचक है और उर्दू हमारी भारतीय संस्कृति की सूचक है, क्योंकि उर्दू किसी मजहब या कौम की भाषा नहीं है बल्कि भारत की भाषा है। हिदू मुस्लिम एकता पर जोर देती है। उर्दू में जहां एक अल्लामा इकबाल मुल्क की मुहब्बत के तराने लिखते हुए दिखाई देते हैं तो वहीं दूसरी ओर बृज नारायण चकवस्त और रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी भी इसी देशभक्ति की भावना की शिक्षा देते हुए नजर आते हैं। आबिद हुसैन हैदरी ने कहा कि कोर्स चाहे कोई भी पढ़ो, लेकिन उर्दू भाषा जरूर पढ़ें। कोर्स हमें हमारे लक्ष्य की ओर अग्रसर करेगा तो उर्दू हमें भारतीय संस्कृति से जोड़े रखेगी। डॉ. किशवर जहां जैदी ने कहा कि जब एक लड़का पढ़ता है तो सिर्फ एक लड़का पढ़ता है। जब लड़की पढ़ती है तो एक खानदान पढ़ता है। इस दौरान मुनव्वर तविश, नेहा जावेद, तरन्नुम सदफ, अजमत हुसैन, शान मियां, काशि हुसैन, डॉ. कैफी सम्भली, जमील हुसैनी, गुलाम जीलानी, शफीकुर्रमान, मुहम्मद आजिम, डॉ. काजिम, मुहम्मद अलकमर, आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन शायर सलमान सम्भली ने किया। बाद में मुल्क की सलामती के लिए दुआ कराई गई।