उर्दू अदब में रुबाई का बहुत अहम मुकाम है
की बुनियाद चार पंक्तियों पर है।हसनपुर से आये डॉ एम ए मारू़फ ने कहा की रुबाई क्लास की उर्दू शायरी की चार बड़ी असनाफ गजल, कसीदा, और मसनबी में से एक है। डॉ शफीकुर्रहमान बरकाती ने कहा की रुबाई के कुछ खास औजान होते है। डॉ. शहजाद अहमद ने कहा की शुरुआती दौर की रुबाइया औरतो और बच्चों को खुश करने के लिये कही जाती थी क्योंकि रुबाईओ के औजान संगीत से काफी मुनासबत रखते है। सेमिनार में डॉ. रबाब अंजुम, डॉ. मुनव्वर ताबिश, डॉ. मोहम्मद अफजल , नाजमीन अलीगढ़, आरि़फा मसूद, डॉ. यूसुफ इन्दोरी, शाह फैसल आदि ने भी अपने ख्यालात का इजहार किया। अध्यक्षता शायर अनवर कैफी ने और संचालन प्रोफेसर शाकिर हुसैन इस्लाही ने किया। सोसायटी के अध्यक्ष साबिर हुसैन ने स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र दिये।
सिरसी: अब्दुल गफूर एजुकेशनल सोसायटी की ओर से रविवार को मुहल्ला गिन्नौरी में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में उर्दू अदब में रुबाई का मुकाम विषय पर अदीबों ने अपने ख्यालात का इजहार किया। शायर अनवर कैफी ने कहा की उर्दू अदब में रुबाई का बहुत अहम मुकाम है उर्दू शायरी के आगाज के साथ ही रुबाई का भी आगाज हुआ। उर्दू साहित्य के हर बड़े शायर ने रुबाई कही है इंदौर से आये डॉ जाकिर हुसैन ने कहा की रुबाई की बुनियाद चार पंक्तियों पर है।हसनपुर से आये डॉ एम ए मारूफ ने कहा की रुबाई क्लास की उर्दू शायरी की चार बड़ी असनाफ गजल, कसीदा, और मसनबी में से एक है। डॉ शफीकुर्रहमान बरकाती ने कहा की रुबाई के कुछ खास औजान होते है। डॉ. शहजाद अहमद ने कहा की शुरुआती दौर की रुबाइया औरतो और बच्चों को खुश करने के लिये कही जाती थी, क्योंकि रुबाईओं के औजान संगीत से काफी मुनासबत रखते है। सेमिनार में डॉ. रबाब अंजुम, डॉ. मुनव्वर ताबिश, डॉ. मोहम्मद अफजल , नाजमीन अलीगढ़, आरि़फा मसूद, डॉ. यूसुफ इन्दौरी, शाह फैसल आदि ने भी अपने ख्यालात का इजहार किया। अध्यक्षता शायर अनवर कैफी ने और संचालन प्रोफेसर शाकिर हुसैन इस्लाही ने किया। सोसायटी के अध्यक्ष साबिर हुसैन ने स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र दिये।