आखिरी रोजा इस बार सबसे लंबा 15 घंटे 35 मिनट का होगा
इस बार अप्रैल के महीने ही गर्मी ने अपना जोहर दिखाना शुरू कर दिया। दुपहरी तपने लगी तो पारा भी चढ़ने लगा।
सरायतरीन: तीसरे वर्ष लगातार मई के माह में रोजे आ रहे है। इस बार अप्रैल के महीने ही गर्मी ने अपना जोहर दिखाना शुरू कर दिया। दुपहरी तपने लगी तो पारा भी चढ़ने लगा। इस बार मई की तपिश में शुरू होने वाले मुकद्दस महीना रमजान का सबसे लंबा रोजा इस बार 15 घंटे 35 मिनट का होगा। सबसे लंबी अवधि वाला ये रोजा रमजान का आखिरी रोजा होगा। इस बार आखिरी पांच रोजों का समय साढ़े पंद्रह घंटे से अधिक की होगा जबकि पहले रमजान की समय 14 घंटे 58 मिनट होगा। मौलाना मेहर इलाही ने बताया कि अगर माह-ए-रमजान का चांद का रविवार को दिखा तो छह मई को पहला रोजा नही दिखा तो 7 मई को रोजा रखा जाएगा। रमजान का महीना तीस दिन का हुआ तो आखिरी रोजा चार या पांच जून को रखा जाएगा। मुस्लिम इलाकों में इसकी तैयारी भी शुरू हो गई। इस बार 24 घंटे में रोजेदारों को करीब 15 घंटे से अधिक समय तक भूखे प्यासे रहकर खुदा की इबादत करनी होगी। मुकद्दस रमजान का सबसे छोटा रोजा पहला रोजा होगा। इसकी अवधि 14 घंटे 58 मिनट की होगी। बाकी सभी रोजे 15 घंटे से अधिक समय के होंगे जबकि रमजान का आखिरी रोजा ही सबसे लंबा रोजा होगा। सरायतरीन जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती जुनैद कासमी ने कहा कि रमजान के सभी रोजे 898 मिनट से 935 मिनट के बीच होंगे। इस दौरान रोजेदारों को शिद्दत की गर्मी से भी जूझना पड़ेगा।
शुरू के रोजो का समय
पहला रोजे का समय 14 घंटे 58 मिनट
दूसरा रोजे का समय 14 घंटे 59 मिनट
तीसरा रोते का समय 15 घंटे
चौथा रोजे का समय 15 घंटे 1 मिनट
पांचवा रोजे का समय 15 घंटे 2 मिनट का होगा आखिरी पांच रोजों का समय
26 वां रोजे का समय 15 घंटे 32 मिनट
27 वां रोजे का समय 15 घंटे 32 मिनट
28 वां रोजे का समय 15 घंटे 34 मिनट
29 वां रोजे का समय 15 घंटे 34 मिनट
30 वां रोजे का समय 15 घंटे 35 मिनट 932 मिनट का होगा अलविदा रोजा
सरायतरीन: रमजान में आखिरी जुमा का खास महत्व है। इस बार के माहे रमजान में चार जुमा पड़ेंगे। आखिरी जुमा अलविदा पर रोजे की अवधि 15 घंटे 32 मिनट की होगी अर्थात रोजेदारों को अलविदा पर 932 मिनट तक भूखे प्यासे रहना होगा। साल में दस दिन हो जाता है कम
कारी फुरकान ने बताया कि 36 साल बाद रमजान दोबारा उसी मौसम में पहुंच जाता है। इस्लामी कैलेंडर और अंग्रेजी कैलेंडर में एक साल में 10 दिन का अंतर आता है। ये अंतर इसलिए आता है कि इस्लामी कैलेंडर में 29-30 दिन का महीना होता है, वहीं अंग्रेजी कैलेंडर में 30-31 दिन का महीना होता है। तरावीह व सामूहिक इफ्तार के लिए कई जगह होंगे इंतजाम
रमजान माह शुरू होते ही शहर की फिजा भी बदल जाएगी। खासकर मुस्लिम बहुत इलाकों में अलग माहौल होगा। शहर की अधिकांश मस्जिद में पूरे माह सामूहिक इफ्तार कराया जाएगा। लोग आपस में मिलकर इसका आयोजन करते हैं। यह महीना एकता की भी मिसाल पेश करता है। वही मस्जिदों व कार्यालय और घरों में रमजान की विशेष नमाज ए तरावीह अदा की जाएगी।
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