कहकशा व शारिक ने रखा पहला रोजा, चेहरे पर दिख रही रौनक
कुरआन की तिलावत करते रहे। मोहम्मद शारिक का कहना कि पहला रोजा रखा है और बहुत ही ज्यादा खुश है परिवार वालों ने मना किया था लेकिन इसमें फिर भी रखा क्योंकि यह चाहता है रमजान अल्लाह ताला का बहुत ही बरकत वाला महीना है और बोला के इस महीने में मैं भी रोजे रखूंगा और नमाज भी पढ़ लूंगा बो
सम्भल : रमजान माह में मासूम बच्चों ने पहला रोजा रखा। इनकी जिदगी का यह पहला रोजा है। तपती धूप की परवाह किए बिना नन्हे मुन्ने बच्चों ने रोजा रखा। अल्लाह और उसके रसूल की रजा हासिल करने के लिए भूख और प्यास की शिद्दत बर्दाश्त की।
ग्राम राजा का गालिब निवासी भूरा खां की छह साल की पुत्री कहकशा रानी और ग्राम लहरा कमगर निवासी 11 साल के मोहम्मद शारिक ने पहला रोजा रखा। कहकशा रमजानुल मुबारक के महीने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। रोजा रखने के साथ साथ मासूम बच्ची ने अपनी मां के साथ पांच वक्त की नमाज अदा की। वही 11 साल की शारिक ने रोजा रखा। खुदा की खुशनूदी हासिल करने के लिए भीषण गर्मी में भूख और प्यास को बर्दाश्त किया। पहला रोजा रखने पर घर में खुशी का माहौल रहा। बेटी के पहले रोजे पर घर में खास पकवान तैयार किए गए। इनके अलावा भी शहर में ऐसे अनेक बच्चे हैं, जिन्होंने जिदगी का पहला रोजा रखा और दिनभर इबादत भी की। ये बच्चे नमाज पढ़ने के साथ ही कुरआन की तिलावत करते रहे। मोहम्मद शारिक का कहना कि पहला रोजा रखा है और बहुत ही ज्यादा खुश है परिवार वालों ने मना किया था लेकिन इसमें फिर भी रखा क्योंकि यह चाहता है रमजान अल्लाह ताला का बहुत ही बरकत वाला महीना है और बोला के इस महीने में मैं भी रोजे रखूंगा और नमाज भी पढ़ लूंगा।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप