नो स्मोकिंग जोन जैसा संभल का सद्दूसराय गांव, दुकानों पर नहीं बिकते सिगरेट-गुटखा
शराब के नशे में डूबे और सिगरेट के छल्ले उड़ाने वाले युवाओं के लिए मिसाल हैं सम्भल के गांव हिसामपुर का माजरा सद्दूसराय के युवा। यह गांव पूरी तरह धूमपान से मुक्त है।
संभल (अंकित गोस्वामी)। शराब के नशे में डूबे और सिगरेट के छल्ले उड़ाने वाले युवाओं के लिए मिसाल हैं सम्भल के गांव हिसामपुर का माजरा सद्दूसराय के युवा। यह गांव पूरी तरह धूमपान से मुक्त है। नौकरी और रोजगार की तलाश ही यहां के युवाओं का नशा है। यहां परचून की दुकान पर गुटखा और सिगरेट भी नहीं बिकते। पांच युवाओं ने सरकारी नौकरी हासिल कर ली है। इनमें से एक युवती उप्र पुलिस में सिपाही बनी है। गांव में आने वाले रिश्तेदारों को गुटखा-सिगरेट के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
बच्चों को दिए जाते अच्छे संस्कार
संभल से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित सद्दूसराय में 45 परिवार रहते हैं। गांव की आबादी करीब 300 है और ब्राह्मण व सैनी बिरादरी के लोग रहते हैं। यहां परचून की सिर्फ दो दुकानें हैं। यहां के युवा दूसरे युवाओं के एक मामले में बिल्कुल अलग हैं। यही इनकी पहचान भी है। इस गांव का कोई भी युवक या बुजुर्ग शराब नहीं पीता। बचपन से ही बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाते हैं। धूमपान से होने वाले नुकसान की जानकारी देकर दूर रहने की सलाह दी जाती है। ग्रामीणों का मत है कि अगर युवा नशे से दूर रहेंगे तो उनका पूरा फोकस कामयाबी पर होगा। उन्हें सफलता भी मिलेगी। गांव निवासी रामेश्वर का बेटा प्रशांत शर्मा सीआइएसएफ में तैनात है तो उनकी बेटी पूनम शर्मा उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही। युवा सुरेश, अनिल शर्मा और सुमन देवी भी सरकारी नौकरी में हैं।
एक पीता शराब, चार पीते बीड़ी
वैसे तो पूरे गांव के लोग नशे से काफी दूर हैं। हाल ही में बाहर से आकर एक परिवार बसा है। इस परिवार का एक व्यक्ति कभी-कभी शराब पीता है। चार बुजुर्ग बीड़ी पीते हैं। गांव के युवा अपील के माध्यम से इन्हें धूमपान से दूर करने की मुहिम चला रहे हैं।
गांव में सब नशे से दूर
सद्दूसराय निवासी नरेश शर्मा ने बताया कि यहां पहले से ही लोग नशे से दूर रहते हैं। बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार दिए जाते हैं। आबादी भी कम है। गांव के ही अशोक शर्मा ने कहा कि गांव में कोई भी धूमपान नहीं करता है। दुकानों पर भी गुटखा-सिगरेट नहीं बिकती। गांव में शराब की कोई दुकान नहीं है। बरात आने पर उनके लिए सिगरेट-गुटखा लाने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। दुकानदार पंकज कुमार ने बताया कि गांव में मेरी परचून की दुकान है। मैंने कभी दुकान पर गुटखा-सिगरेट नहीं बेचे। इस गांव के लोग इनका प्रयोग नहीं करते।