Sanskarshala 2022 : मोबाइल का प्रयोग दिमाग से करें, सच्चा नहीं होता गूगल और इंटरनेट का ज्ञान
Sambhal Sanskarshala 2022 संभल में चंदौसी के एनकेबीएमजी पीजी कालेज के बीएड विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अमिता चौधरी ने एक घटना का वर्णन करते हुए बताया कि सुबह का समय था। हल्की सी सर्दी का अहसास हो रहा था। करुणा भरी आवाज सुनाई देती है।
Sambhal Sanskarshala 2022 : संभल में चंदौसी के एनकेबीएमजी पीजी कालेज के बीएड विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अमिता चौधरी ने एक घटना का वर्णन करते हुए बताया कि सुबह का समय था। हल्की सी सर्दी का अहसास हो रहा था। करुणा भरी आवाज सुनाई देती है।
कहां गई मेरी बिटिया रानी...कहते हुए दादी दरवाजे से अंदर आईं। दादी मां अपनी पोती भारती को प्यार से गुड़िया कह कर बुलाती थी। माता-पिता की बहुत ही लाडली भी। यह एक छोटा सा खुशहाल, समृद्ध परिवार था। अभी हाल ही में भारती ने 12वीं की परीक्षा बहुत ही अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की थी।
इस पर पिताजी ने खुश होकर उसे उपहार में एक स्मार्टफोन दिया। दादी भी समय-समय पर भारती को कभी उपहार देती, कभी कुछ सामान दिलाती और कभी जेब खर्च के लिए पैसे देती रहती थी। इन्हीं पैसों से भारती ने नेट रिचार्ज भी कराया अब वह बहुत खुश थी। भारती अक्सर मोबाइल पर वीडियो देख कर कभी नृत्य करती कभी दादी को नई-नई बातें बताती है और कभी माता-पिता को खबरें पढ़कर सुनाती थी।
दादी-पोती वीडियो देखते कभी भजन सुनते और आनंदित होते। समय समय पर भारती दादी को भी उत्सुकता पूर्वक फोन भी चलाना सिखाती अब भारती अपने हर सवाल का जवाब गूगल पर ढूंढने लगी, वही दादी भी हर समस्या के समाधान के लिए भारती से कहती कि अरे तू अपने गूगल से पूछ ले ना।
भारती की मां भी भोजन बनाने की विधि के लिए नेट पर यूट्यूब का सहारा लेती और बागवानी के लिए नए तरीके भी देखती। एक प्रकार से समझा जाए तो यह स्थिति थी कि परिवार के सभी लोग मोबाइल और इंटरनेट पर निर्भर रहने लगे मोबाइल परिवार का एक जरूरी हिस्सा बन चुका था।
भारती ने अपने साथ-साथ अपनी दादी व मां का भी इंस्टाग्राम पेज बना दिया जिस पर वह खुश होकर वीडियो डालने लगे और लोग उन्हें बहुत ही पसंद भी करने लगे। घर पर इंटरनेट का प्रयोग इतना अधिक होने लगा कि परिवार के सदस्य की छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज भी यूट्यूब से देखकर मैं खुद ही करने लगे।
यूट्यूब की सलाह तो मानो उनके लिए हर समस्या का समाधान थी, सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था। तभी भारती के पिता को बिजनेस के किसी जरूरी काम से शहर से कुछ दिनों के लिए बाहर जाना पड़ा जाने से पहले पिता ने भारती की मां को समझाया कि वह अपना अपनी बेटी और मां का पूरी तरह से ख्याल रखें।
अचानक एक रोज दादी की तबीयत खराब हो गई हल्का बुखार और गला खराब था तो भारती ने मोबाइल से देखकर मां को कुछ देसी उपाय बताएं और मां से कहा कि आप दादी के लिए यह बनाओ। आप देखना दादी मां जल्दी से ठीक हो जाएगी । मां ने भारती की बात को सुन कर दादी के लिए वह नुस्खे बनाएं लेकिन तीन दिन के बाद भी दादी का बुखार में गलत ठीक नहीं हुआ फिर भारती को एक और उपाय सूझा उसने जल्दी से नेट से कुछ दवा देखी और मेडिकल से ले आई और दादी को देने लगी। उन दवाइयों के सेवन से दादी की हालत और ज्यादा बिगड़ गई।
शाम होते-होते दादी को तेज बुखार हो गया, वह लगातार खांसने लगी, उनकी सांसें ऊपर नीचे होने लगी। अब यह देखकर भारती व उसकी मां डर गए रात बढ़ने लगी थी दादी की स्थिति और ज्यादा खराब होती चली गई। उनके पड़ोस में भारती के पिता जी के पुराने मित्र रमेश जी अपने परिवार के साथ रहते थे।
भारती ने मां से कहा कि मां मैं रमेश अंकल को बुला कर लाती हूं। वह भागती हुई रमेश अंकल के पास पहुंची और उन्हें दादी का सारा हाल बताया। भारती रमेश अंकल को लेकर अपने घर पहुंची रमेश ने दादी को देख कर कहा कि इन्हें तुरंत ही डाक्टर के पास ले जाना होगा।
सभी दादी को लेकर डाक्टर के पास पहुंचे डाक्टर दादी को देखते ही बोले कि इन्हें तुरंत एडमिट करा दो। डाक्टर ने दादी को एडमिट किया तथा उनका इलाज शुरू कर दिया काफी देर के बाद डाक्टर बाहर आए तो भारतीय की मां तेजी से भागते उनके पास पहुंची और माताजी की तबीयत के बारे में पूछा। डाक्टर ने जवाब दिया कि अब स्थिति सामान्य है।
फिर उन्होंने भारती की मां से दवा के विषय में पूछा भारती की मां ने सबको सही-सही बताया तब डाक्टर साहब ने कहा कि दादी की यह हालत दवा की ओवरडोज देने से हुई है बीपी भी काफी बढ़ गया था। अगर सही समय पर दादी को अस्पताल नहीं ले जाया जाता तो उनकी स्थिति को संभाल पाना मुश्किल था।
डाक्टर ने भारती मां को समझाया कि नेट गूगल और डिजिटल ज्ञान हर स्थिति में सही नहीं होता। उधर भारती के पिता भी अस्पताल पहुंच चुके थे। भारतीय और भारतीय की मां की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे, लेकिन दूसरी ओर इस बात की प्रसन्नता थी कि दादी को सही समय पर अस्पताल ले जाया गया।
अब भारतीय ने मन ही मन में निर्णय किया कि मोबाइल का प्रयोग केवल पढ़ाई के लिए ही करेगी। साथ ही यह भी विचार किया कि गूगल ज्ञान का प्रयोग परिस्थिति एवं समय के अनुसार अपने विवेक का प्रयोग करते हुए ही करना चाहिए।