परिजन खुद कर रहे हैं लोकेश की तलाश
नदी में डूबे लोकेश की तलाश कर रहे परिजन अभी तक हताश नहीं हुए हैं।
सम्भल: नदी में डूबे लोकेश की तलाश कर रहे परिजन अभी तक हताश नहीं हुए हैं। तीन दिन बीतने के बाद भी वह गंगा किनारे डेरा डाले हुए हैं। इतना ही नहीं परिजन खुद दो टीमों में बंटकर लोकेश की तलाश कर रहे हैं। एक टीम बबराला में नदी में उसको तलाश रही है तो दूसरी टीम ने बुलंदशहर बार्डर पर बने बैराज पर डेरा डाल दिया है।
सोमवार को ग्राम खजरा-मझरा निवासी हरद्वारी की पत्नी सूरजमुखी का निधन हो गया था। मंगलवार को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए सभी बबराला स्थित राजघाट गए थे। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बदांयू जनपद के ग्राम रौनाई खितौरी निवासी नरेंद्र, बहजोई के ग्राम पाठकपुर निवासी लोकेश व बदायूं के बिसौली निवासी राकेश भी गए थे। अंतिम संस्कार के बाद राकेश व लोकेश नदी में नहाने के दौरान बह गए। नरेंद्र बचाने कूदा तो वह भी डूब गया। इसमें नरेंद्र को बचा लिया गया। बाद में राकेश की लाश मिली जबकि लोकेश का कोई सुराग नहीं लगा। गुरुवार को भी लोकेश के दादा राजवीर, फूफा सतेंद्र, पान सिंह, चाचा खुशीराम व नवाब सिंह समेत अन्य परिजन नदी किनारे डेरा डाले रहे। नाउम्मीद नहीं हुए परिजनों ने खुद की लोकेश की तलाश करने की जिम्मेदारी उठा ली है। परिजनों ने बताया कि वह दो टीमों में बंटकर उसकी तलाश कर रहे हैं। कुछ लोग यहां पर नाव के जरिए नदी में उसकी तलाश कर रहे हैं तो कुछ परिजनों ने सम्भल-बुलंदशहर बार्डर पर पड़ने वाले गंगा बैराज में डेरा डाल दिया है। जिदा होने की उम्मीद कम होने के बाद भी वह निराश नहीं हैं। परिजनों ने कहा कि जब तक शव नहीं मिल जाता वह कैसे मान लें कि लोकेश मर गया है। वहीं परिजनों ने आरोप लगाया है कि लोकेश की तलाश करने में स्थानीय प्रशासन कोई मदद नहीं कर रहा है। यहां तक कि नाव में पेट्रोल भी वह अपने पैसे से भरवा रहे हैं। अभी तक लोकेश की तलाश करने में करीब तीस हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। वहीं, एसडीएम गुन्नौर ओमवीर सिंह ने कहा कि परिजनों के आरोपों में बारें में उनको जानकारी नहीं है लेकिन पुलिस व अन्य टीमें तलाश कर रही हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप