Move to Jagran APP

गन्ना पर्ची न मिलने पर भड़के किसान

भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक असली के पदाधिकारियों ने गन्ना किसानों की पर्ची वितरण प्रणाली को खत्म कर एसडीएम द्वारा गन्ना की पर्ची जारी करने के संबंध में उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। जिसमें भाकियू पदाधिकारियों ने गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर बात रखी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 12:23 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 12:23 AM (IST)
गन्ना पर्ची न मिलने पर भड़के किसान

सम्भल: भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक असली के पदाधिकारियों ने गन्ना किसानों की पर्ची वितरण प्रणाली को खत्म कर एसडीएम द्वारा गन्ना की पर्ची जारी करने के संबंध में उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। जिसमें भाकियू पदाधिकारियों ने गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर बात रखी।

loksabha election banner

सोमवार को भारतीय किसान यूनियन असली के पदाधिकारी उपजिलाधिकारी कार्यालय पर एकत्र हुए। और गन्ना किसानों को गन्ना डालने में आ रही समस्या के संबंध में ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने कहा कि गन्ना आयुक्त द्वारा आदेश दिया गया है कि किसानों को एसएमएस पर पर्ची जारी की जाएगी। जिसमें किसान को अपना मोबाइल, आधार कार्ड, पहचानपत्र आदि आइडी क्रय केन्द्र व मील के गेट पर लेकर जाएगा तभी किसान का गन्ना तोला जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी किसानों के पास मोबाइल नही है। कुछ किसान पर है तो वह पढ़ना नही जानते। मिल व सोसाइटियों में किसानों के नंबर फीड नही है। कुछ किसान गांव से बाहर नौकरी कर रहे और बहुत से किसान बुजुर्ग है जो अपना गन्ना किराये पर डलवाते है। ऐसे आदेश किसानों को परेशान करने के लिए किये जा रहे है। उन्होंने पर्ची वही बनवाकर कोट खुलवाये जाये तथा नया कानून लागू न किये जाने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी देते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ तो किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इस दौरान संजीव चौधरी, वीरेन्द्र ¨सह, राहत अली तुर्की, अशरफ हुसैन, महीपाल चौधरी आदि मौजूद रहें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.