पिता की आज्ञा से भगवान राम गए वनवास
बनियाठेर क्षेत्र के गांव भुलावई में चल रही चौथे दिन कलाकारों ने बड़े ही मार्मिक ढंग से श्री राम बनवास का वर्णन किया। कथावाचक श्री राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि जब श्री राम के राजतिलक की घोषणा पूरे अयोध्या में फैल गई तो देवताओं ने मां सरस्वती से प्रार्थना की कि अगर श्री राम को तिलक हो गया तो राक्षसों का विनाश नहीं होगा। इसके बाद राम राजा नहीं बने और उन्हें वनवास के लिए जाना पड़ा। वनवास जाने से पहले कौशल्या ने कहा कि मेरा क्या होगा मैं तेरे बिन कैसे जिऊंगी। इस पर भगवान राम ने कहा मैं पुरुषोत्तम हूं और माता पिता की आज्ञा का पालन करना मेरा धर्म है। आप ¨चता न करें मैं बन के लिए जा रहा हूं
चन्दौसी: बनियाठेर क्षेत्र के गांव भुलावई में चल रही चौथे दिन कलाकारों ने बड़े ही मार्मिक ढंग से श्री राम बनवास का वर्णन किया। कथावाचक श्री राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि जब श्री राम के राजतिलक की घोषणा पूरे अयोध्या में फैल गई तो देवताओं ने मां सरस्वती से प्रार्थना की कि अगर श्री राम को तिलक हो गया तो राक्षसों का विनाश नहीं होगा। इसके बाद राम राजा नहीं बने और उन्हें वनवास के लिए जाना पड़ा। वनवास जाने से पहले कौशल्या ने कहा कि मेरा क्या होगा मैं तेरे बिन कैसे जिऊंगी। इस पर भगवान राम ने कहा- मैं पुरुषोत्तम हूं और माता पिता की आज्ञा का पालन करना मेरा धर्म है। आप ¨चता न करें मैं बन के लिए जा रहा हूं और माता पिता की आज्ञा का पालन करना मेरा धर्म है। राम माता से आज्ञा लेकर चल दिए। आगे चलकर लक्ष्मण मिले लक्ष्मण ने कहा कि आप कहां जा रहे हैं तब श्री राम ने कहा कि मुझे माता पिता ने वनवास दिया है और मैं बन के लिए जा रहा हूं। लक्ष्मण ने कहा मैं भी आपके साथ चलूंगा। राम ने कहा वनवास मेरे लिए है। तुम्हारे लिए नहीं, लक्ष्मण ने कहा कि आप मुझे नहीं ले जाएंगे तो मैं यहां पर मर जाऊंगा। आपके बिना में जीवित नहीं रहूंगा। लक्ष्मण को लेकर श्री राम चले फिर सीता जी भी वहां पर आ गई सीता जी ने भी कहा मैं आपके बिना इस अयोध्या में नहीं रहूंगी। इसके बाद तीनों वनवास के लिए चले गए।