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संतों की कुटिया से बिछी राजनीति की बिसात

भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान श्री कल्कि की नगरी सम्भल बुधवार की शाम राजनीति के लिए एक नए प्रयोग के रूप में सामने आ गया। भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने वाले विपक्ष को एक ऐसी जगह मिली जिसने राजनीतिक चर्चाओं के साथ ही एक नये विकल्प की भी राह प्रशस्त कर दी। संतों की कुटिया इसकी गवाह बनी। इन्हीं कुटिया में मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति के दिग्गज माने जाने वालों ने भाजपा के खिलाफ आगामी रणनीति भी बनाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 12:26 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 12:26 AM (IST)
संतों की कुटिया से बिछी राजनीति की बिसात
संतों की कुटिया से बिछी राजनीति की बिसात

सम्भल: भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान श्री कल्कि की नगरी सम्भल बुधवार की शाम राजनीति के लिए एक नए प्रयोग के रूप में सामने आ गया। भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने वाले विपक्ष को एक ऐसी जगह मिली जिसने राजनीतिक चर्चाओं के साथ ही एक नये विकल्प की भी राह प्रशस्त कर दी। संतों की कुटिया इसकी गवाह बनी। इन्हीं कुटिया में मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति के दिग्गज माने जाने वालों ने भाजपा के खिलाफ आगामी रणनीति भी बनाई।

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भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए एक जुटता को ही एकमात्र विकल्प बताने वाले दिग्गजों ने केंद्र की भाजपा को साधने के लिए उत्तर प्रदेश को ही मुफीद जगह भी माना। नर्मदा कुटिया में जहां चक्रपाणि महाराज व कम्प्यूटर बाबा ने रणनीति बनाई तो पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के आने के बाद मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय ¨सह, पूर्व केंद्रीय मंत्री व बिहार की राजनीति से जुड़े तारिक अनवर और गुजरात के पाटीदार आंदोलन के जरिए छाने वाले हार्दिक पटेल ने गुफ्तगूं की । इन नेताओं ने सम्भल की धरती से जो राजनीति की शतरंज बिछाई वह आने वाले समय में कितना गुल खिलाएगी यह तो वक्त बताएगा लेकिन बंद कुटिया में इनकी जुगलबंदी निश्चित तौर पर राजनीति के एक नए राह को भी प्रशस्त कर सकता है।

लखनऊ को अपने राजनीति के अगले शहर के रूप में पेश करने वाले हार्दिक पटेल ने यहीं से राजस्थान के गुज्जर और प्रदेश के कुर्मी बिरादरी में पैठ बनाने की अपनी रणनीति सबसे सांझा किया। कांग्रेस से जुडे नेता जहां कांग्रेस से जुड़ने पर बल देते रहे। वहीं शिवपाल यादव ने भी इन नेताओं को अपनी मंशा से अवगत कराया कहा कि उन्हें भी 50 फीसद सीटें चाहिए। एक दूसरे से इसी मंत्रणा के बीच जहां भावी गठबंधन की रणनीति भी बनी वहीं एक दूसरे की भावनाएं भी सभी नेताओं ने समझ ली। राम मंदिर के जरिए भाजपा पर जहां संतों ने वार किया। वहीं ओबीसी की राजनीति के जरिए कुर्मी सहित अन्य जातियों का साधने के लिए हार्दिक पटेल ने रास्ता सुझाया। नरम रूप से अपनी बात रखते हुए इस मंत्रणा में तारिक अनवर ने कांग्रेस को विभिन्न दलों को नदी बताते हुए कांग्रेस को महासागर बताया जहां ये नदिया मिलेंगी। राज्यों में होने वाले चुनाव में मध्यप्रदेश को सबसे महत्वपूर्ण मानते हुए वहां से भाजपा की संभावित हार को देश में भुनाने की भी रणनीति बनाई गई।


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