पेट भरने के लाले, कैसे बने पक्का मकान
चन्दौसी केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार गरीब असहाय के लिए लाभकारी योजनाएं चला रही है लेकि
चन्दौसी: केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार गरीब असहाय के लिए लाभकारी योजनाएं चला रही है, लेकिन लापरवाह अधिकारी इन योजनाओं का पलीता लगा रहे हैं, जिसके चलते उन योजनाओं का लाभ गरीब असहाय बेघरों को नहीं मिल रहा है। काफी गरीब आज भी मिट्टी के घरों में रहने को मजबूर हैं। ऐसा ही एक मामला विकासखंड बनियाखेड़ा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है जहां आज भी अकरौली गांव निवासी भगवानदास मौर्य व ढकनगला निवासी महबूब स्वजनों के साथ गरीबी की हालत में कच्चे मकान में रहने को मजबूर है। घर के हालात ऐसे हैं कि दोनों परिवार दिन रात अपने घर में मौत की अनुभूति करता है। एक अजीब से डर का साया उसके दिलों-दिमांग पर छाया रहता है। केस नंबर एक:-
केंद्र सरकार ने कच्चे मकान में रहने वालों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चलाकर पक्के मकान दिए जा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते वास्तविकता कुछ और ही है। सरकार के सिस्टम में बैठे इन अधिकारियों को कोई गरीब मजलूम न तो दिखाई देता है ना उसकी आवाज सुनाई देती है। ऐसे ही अधिकारियों की लापरवाही के चलते थाना बनियाठेर क्षेत्र के गांव अकरौली निवासी भगवान दास मौर्य पत्नी सावित्री, बेटा रिंकू व उसके बच्चों के साथ बरसात व सर्दी के मौसम में चलती बर्फीली हवाओं में कच्ची दीवार व पन्नी की छत के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है और दोनों बाप बेटे किसी तरह मजदूरी करके स्वजनों का पालन पोषण कर रहे हैं। भगवान दास ने बताया कि मकान के लिए ग्राम प्रधान के साथ ब्लाक में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के यहां चक्कर काटकर थक गया, लेकिन उसको् पक्का मकान नहीं मिल सका। मेहनत मजदूरी करके पेट भरने का ही इंतजाम हो पाता है, इसलिए कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं।
केस नंबर दो-
विकास खंड बनियाखेड़ा के गांव रसूलपुर कैली के मजरा ढकनगला निवासी महबूब सैफी मिट्टी की दीवारों पर छप्पर डालकर अपना जीवन यापन कर रहा था। सरकारी मदद को अधिकारियों के यहां काफी चक्कर काटे, लेकिन उसको सरकारी मदद नहीं मिल सकी। मजबूरी में उसके स्वजनों को कच्ची दीवार व छप्पर के मकान में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। बरसात के दिनों में उसके स्वजनों को खासी परेशानी होती है और हर पल कोई हादसा न हो जाए इसी डर के बरसात का मौसम काट रहा है। इन्हीं मुश्किल की जिदगी गुजार रहा महबूब आजकल फैजाबाद में रहकर मजदूरी कर रहा है। उसी मजदूरी के सहारे बच्चों का पेट पाल रहा है। ऐसा नहीं आवास निर्माण के लिए उसने प्रधान से लेकर ब्लॉक के बड़े से बड़े अधिकारी के दरवाजे न खटखटाए हो। परंतु किसी ने उसकी एक न सुनी। महबूब की पत्नी ने बताया कि उन के लिए आज तक किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया है। कोट-
प्रधानमंत्री आवास योजना का पात्रों को लाभ दिया जा रहा है अगर कोई ऐसा मामला है तो इस मामले की जांच कराकर उन लोगों को आवास दिलाया जाएगा।
उमेश कुमार त्यागी, सीडीओ सम्भल