फर्श से अर्श तक सजाया है..
बुरहानी हास्पिटल बदायूं दरबाजा के तत्वावधान में एक मुशायरे का आयोजन किया गया जिसकी शुरुआत कारी मुशर्रफ ने तिलावते कलामे पाक से तथा मुज्जमिल खान सम्भली ने हम्दे कारी तआला से की।
जागरण संवाददाता, सम्भल: बुरहानी हास्पिटल बदायूं दरबाजा के तत्वावधान में एक मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत कारी मुशर्रफ ने तिलावते कलामे पाक से तथा मुज्जमिल खान सम्भली ने हम्दे कारी तआला से की। शुभारंभ चेयरमैन पति हाजी शकील अहमद कुरैशी ने फीता काटकर किया। हाजी अरशद ने शमा रोशन की। जमशेद बरकाती ने पढ़ा आप के दूर से सभी बाते है इमदार सुदा, मुजम्मिल खान सम्भली ने बुलंद जब हो फिजाओ में नारा एतकबीर, नौशाद गोविदपुरी ने जिन्हें नबी की जियारत का इशित्यान नहीं, कामिल मुरादाबादी ने फर्श से अर्श तर सजाया है, इन्तेखान आलम ने या नबी में भी मुकद्दर का सिकदर होता, बुरहान सम्भली ने मुकातिसो बेकसो का सहारा नबी, नौशाद ने हुक्म रब का था कर देते बर्ना हुसैन, शकी चिश्ती ने फिर लाओ वही इश्के मोहम्मद के तरीम, शफीक बरकाती ने मेरा दिल हुआ मुनव्वर तेरी नात पढ़ते पढ़ते, सुल्लतान कलीम ने पुर शिशो पोदे सजा की मुझे परवाह क्यो हो आदि कलाम पढ़े। इस दौरान चौधरी जफरयाब, हाजी नजर हुसैन, अहसान, नईम खान, चौधरी आशकार, मोहम्मद अली, उमर खान, तहसीन सैफी, हाजी नूर, डॉ. अनवर, नदीम, शहरोज आलम आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता सुल्तान कलीम ने संचालन शफीक बरकाती ने किया।