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नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना..

सम्भल शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के षष्ठम स्वरूप मां कात्यायनी की मंदिरों में श्रद्धालुओं ने विधिवत रूप से पूजा अर्चना की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 12:52 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 12:52 AM (IST)
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना..
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना..

सम्भल: शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के षष्ठम स्वरूप मां कात्यायनी की मंदिरों में श्रद्धालुओं ने विधिवत रूप से पूजा अर्चना की। मंदिरों में सुबह से ही मां की पूजा करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरु हो गई थी। श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा कर मां से मनौती मांगी और आशीर्वाद लिया। महिलाओं व युवतियों ने व्रत रखें। मंदिरों में पूजा अर्चना करते समय शासन प्रशासन की गाइड लाइन का पालन किया गया।

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नगर के मुहल्ला हल्लू सराय स्थित चामुंडा मंदिर में मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की गई। सुबह चार बजे से मंदिरों में मां की भजन-कीर्तन की आवाज आनी शुरु हो गई थी। उसके बाद में मां के भक्त भी दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचने लगे। नगर के गली मुहल्लों में दिन भर मां के भजन कीर्तन होते रहे जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। शाम को मंदिरों व घरों में मां की आरती की गई। श्रद्धालुओं ने प्रसाद वितरण किया। हयातनगर व घुंघावली स्थित मां चामुंडा मंदिर में माता रानी की पूजा अर्चन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। पंडित मुरली ने बताया कि जब संसार में महिषासुर नामक राक्षस ने ताडव मचाया था, तब देवी कात्यायनी ने उसका वध किया और ब्रह्मांड को उसके अ्रत्याचार से मुक्त कराया। तलवार आदि अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित देवी और दानव महिषासुर में घोर युद्ध हुआ। उसके बाद जैसे ही देवी उसके करीब गईं, उसने भैंसे का रूप धारण कर लिया। इसके बाद देवी ने अपने तलवार से उसका गर्दन धड़ से अलग कर दिया। महिषासुर का वध करने के कारण ही देवी को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की गई पूजा अर्चना

बहजोई : नवरात्रि के छठे दिन नगर व ग्रामीण अंचलो में स्थित मंदिरों में मां कात्यायनी की पूजा की विधि विधान के साथ की गई। महिलाओं ने व्रत रखे। गुरुवार को सुबह से मंदिरों में मां कात्यानी की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया। मां के भक्तों ने विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की तथा मन्नते मांगीं। महिलाओं ने माता रानी के भजन गाए। तिरूपति बालाजी मंदिर के पुजारी मोहन दुबे ने बताया कि जो व्यक्ति मां की उपासना करता है उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है।


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