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सम्भल में भाजपा के सामने नई चुनौती बनेगा गठबंधन

। जबकि रामगोपाल यादव के सिर भी इस सीट ने जीत का ताज दिया है। वर्ष 2014 के चुनाव में यहां भाजपा का कब्जा तो हुआ लेकिन जीत का अंतर पांच हजार के करीब था। जबकि बसपा और सपा के वोट जोड़ें तो वह छह लाख से अधिक हो रहे हैं। यही स्थिति पिछले कई चुनावों की भी है। कुल मिलाकर इस सीट को बचाये रखने में भाजपा को कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। शनिवार को जब गठबंधन पर फैसला हुआ तो जिले में जहां सपाइयों ने मिठाइयां बांटीं वहीं बसपा ने भी खुशी का इजहार किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 11:49 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 11:49 PM (IST)
सम्भल में भाजपा के सामने नई चुनौती बनेगा गठबंधन
सम्भल में भाजपा के सामने नई चुनौती बनेगा गठबंधन

सम्भल : पिछले कुछ चुनाव को देखें तो सम्भल सीट हमेशा से चर्चा में रही है। वैसे तो यह सीट भाजपा की सी¨टग सीट है लेकिन यह सपा की पसंदीदा सीट रही है और खुद सपा के संरक्षक मुलायम ¨सह यादव यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं जबकि रामगोपाल यादव के सिर भी इस सीट ने जीत का ताज दिया है। वर्ष 2014 के चुनाव में यहां भाजपा का कब्जा तो हुआ लेकिन जीत का अंतर पांच हजार के करीब था। जबकि बसपा और सपा के वोट जोड़ें तो वह छह लाख से अधिक हो रहे हैं। यही स्थिति पिछले कई चुनावों की भी है। कुल मिलाकर इस सीट को बचाये रखने में भाजपा को कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। शनिवार को जब गठबंधन पर फैसला हुआ तो जिले में जहां सपाइयों ने मिठाइयां बांटीं वहीं बसपा ने भी खुशी का इजहार किया।

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पिछले चुनाव को देखें तो यहां बसपा ने दो बार अपना परचम लहराया है पहली बार वर्ष 1996 ने डीपी यादव ने जनता दल के श्रीपाल ¨सह यादव को पटखनी देकर यह सीट बसपा की झोली में डाली थी। जबकि दूसरी बार वर्ष 2009 डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने सपा प्रत्याशी को हराकर इस सीट को बसपा के हिस्से में दिया था। इसके पहले वर्ष 2004 में सपा से प्रो. राम गोपाल यादव, वर्ष 1999 सपा से मुलायम ¨सह यादव, वर्ष 1998 में सपा से मुलायम ¨सह यादव ने इस सीट से जीत हासिल की थी। जबकि भाजपा ने 2014 में सीट जीती और इसके पहले वर्ष 1999 और 1998 में सपा प्रत्याशी को चुनौती देते हुए दूसरा स्थान भी हासिल किया था। इस सीट के आंकड़े देखें तो गठबंधन के बाद इस सीट पर यदि सपा व बसपा के वोट एक साथ पड़े तो गठबंधन के प्रत्याशी के जीत की राह आसान होगी। हालांकि भाजपा के दावे इससे उलट हैं। इस सीट पर पिछले चुनाव में 3 लाख 60 हजार से अधिक मत पाकर जीत दर्ज करने वाली भाजपा ने मोदी के विजन को अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया है। भाजपा का तर्क है कि गठबंधन बेमेल है और भाजपा विकास के बूते जीतेगी। नतीजे तो बाद में आएंगे लेकिन सम्भल में चुनावी रण भेरी बज चुकी है।

वर्ष 2014

सत्यपाल सैनी-भाजपा-360242

डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क-सपा-252640

अकीलुर्रहमान-बसपा-252640

प्रमोद कृष्णम-कांग्रेस-16034

वर्ष 2009

डॉ.शफीकुर्रहमान बर्क-बसपा-207422

इकबाल महमूद-सपा-193958

चंद्रविजय कांग्रेस-129228

चंद्रपाल-बीजेपी-123166 वर्ष 2004

रामगोपाल यादव - सपा - 357049

तरन्नुम अकील - बसपा - 158988 वर्ष 1999

मुलायम ¨सह यादव - सपा - 259430

भूपेंद्र ¨सह - बीजेपी - 143596 वर्ष 1998

मुलायम ¨सह यादव - सपा - 376828

डीपी यादव - बीजेपी - 210146 1996

डीपी यादव - बीएसपी - 183742

श्रीपाल ¨सह यादव - जनता दल - 178848 1991

श्री पाल ¨सह यादव - जनता दल - 120134

हरपाल - बीजेपी - 118429 1989

श्रीपाल ¨सह यादव - जनता दल - 215582

शांति देवी - कांग्रेस - 173085

फोटो---1,21 सपा व बसपा ने मनाई खुशी

सम्भल : सपा जिलाध्यक्ष फिरोज खां की अगुवाई में सपाइयों ने पार्टी कार्यालय पर एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाई। यहां कहा गया कि गठबंधन हो चुका है अब भाजपा के चुनावी रथ को रोका जाएगा। उधर बसपा जिलाध्यक्ष संसार ¨सह ने भी खुशी मनाई और मिठाई खिलाई। उन्होंने कहा कि बसपा व सपा का गठबंधन प्रदेश में एक नए माहौल को बनाएगा और यह गठबंधन देश की दिशा व दशा तय करेगा।


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