्रलोटे का धंधा बंद हुआ तो बेचने लगे मास्क
देवबंद में कामगारों के लिए हालात जुदा हैं। जिदगी पर संकट है लेकिन पेट की आग जस की तस है। अब हौसलों की ताकत ही जीवन नैया को पार लगा रही है। दिव्यांग साकिब ने इसकी नजीर पेश की है। कोरोना संक्रमण काल में मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हुआ।
सहारनपुर, जेएनएन। देवबंद में कामगारों के लिए हालात जुदा हैं। जिदगी पर संकट है, लेकिन पेट की आग जस की तस है। अब हौसलों की ताकत ही जीवन नैया को पार लगा रही है। दिव्यांग साकिब ने इसकी नजीर पेश की है। कोरोना संक्रमण काल में मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हुआ। लोटा बनाने का धंधा बंद हुआ तो कमाई भी बंद हो गई। इन हालात में उन्होंने हौसला खोने के बजाय मास्क को ही कमाई का जरिया बना लिया।
इस समय कारोबार, नौकरीपेशा और दिहाड़ी मजदूर सभी की रोजी पर संकट है। ऐसे बहुत लोग हैं जो इस संकट में हर तरह की चुनौतियों से लड़ रहे हैं। देवबंद कोतवाली क्षेत्र के गांव नसरुल्लापुर निवासी दिव्यांग साकिब इन्हीं में से एक है। मुसीबत कितनी ही आई हों, उन्होंने दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया। हमेशा संघर्ष कर दो वक्त की रोटी जुटाते रहे। साकिब प्लास्टिक के लोटे बनाने के कारीगर हैं। लोटे बनाने का काम ठप हुआ तो किसी के आगे हाथ नहीं फैलाए बल्कि विषम हालातों के बीच कमाई का रास्ता निकाला और होम मेड मास्क बेचने शुरू कर दिए। वह हाईवे स्थित मंडी स्थल के बाहर अपनी ट्राइसाइकिल पर मास्क बेचते नजर आते हैं। बताते हैं कि वह मास्क बेचकर करीब 200 रुपये रोज कमा लेते हैं।
भाई भी है दिव्यांग
साकिब ने बताया कि उनका एक भाई भी दिव्यांग है। दोनों गांव में ही कारखाने में लोटे बनाने का काम करते थे। फिलहाल काम बंद है, इसलिए मास्क होलसेल में खरीदकर फुटकर में बेचते हैं।