कड़ाके की ठंड के बीच बच्चों में बढ़ा विंटर डायरिया का खतरा, ऐसे करें बचाव
ठंड बढ़ने के साथ बच्चों में विंटर डायरिया का खतरा बढ़ गया है। चिकित्सीय परामर्श और जांच के बाद ही बच्चों को दवा दें। ठंड से बचाने के लिए जरूरी गर्म कपड़े जरूर पहनाएं। घर में बना पौष्टिक आहार दें। छह महीने से बड़े बच्चों को हल्की भाप दे सकते हैं।
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जिला अस्पताल की ओपीडी में बच्चे की जांच करते डॉ. सफल कुमार।
जागरण संवाददाता, सहारनपुर। ठंड का प्रकोप बढ़ने के साथ ही एसबीडी जिला चिकित्सालय की ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है। हर आयु वर्ग में बुखार, खांसी-जुकाम के मरीज भी उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। बच्चों में विंटर डायरिया की समस्या भी बढ़ रही है। ओपीडी में उपचार के लिए पहुंचे 1037 मरीजों में सर्वाधिक 264 सांस, बुखार व खांसी-जुकाम से पीड़ित थे।
दिसंबर की शुरुआत के साथ अब ठंड का प्रकोप पहले से अधिक बढ़ गया है। पिछले दो दिन से चल रही हल्की बर्फीली हवाओं ने शाम को लोगों को जल्दी घर पहुंचने के लिए मजबूर किया है। सुबह और शाम की ठंड के साथ ही दिन में भी ठंड का प्रकोप बढ़ गया है।
दोपहर बाद दिन ढलने के साथ ठंड अपना असर दिखा रही है। साेमवार को एसबीडी जिला चिकित्सालय की ओपीडी में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों में सांस, बुखार, खांसी-जुकाम से पीड़ित मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग बीमारी के शिकार हैं।
ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनना आवश्यक
ओपीडी में मंगलवार को 1037 मरीज उपचार के लिए पहुंचे, इनमें 264 मरीज बुखार, खांसी-जुकाम से पीड़ित थे। हड्डियों की बीमारी से पीड़ितों की संख्या 146 रही। फिजिशियन डॉ. विदित्या ने बताया कि ठंड से बचने के लिए सभी को गर्म कपड़े पहनने चाहिए। कुछ मरीज ऐसे आए जिनके द्वारा आवश्यक गर्म कपड़े नही पहने थे, उन्हें सलाह दी गई कि नियमित रूप से गर्म कपड़े जरूर पहने।
थोड़ी से असावधानी बीमारी को बढ़ा सकती है। घर में बना संतुलित खानपान लें।। यदि संभव हो सके तो हल्का गुनगुना पानी लें। बुखार, खांसी-जुकाम से पीड़ितों से बात करते समय उचित दूरी बनाए रखें। मास्क का उपयोग करना बेहतर हो सकता है, ऐसा करने से इंफेक्शन से बचा जा सकता है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सफल कुमार ने बताया कि इन दिनों बच्चों में विंटर डायरिया का प्रकोप भी चल रहा है। 15-20 बच्चे बीमारी से पीड़ित आ रहे हैं। चिकित्सीय परामर्श और जांच के बाद ही बच्चों को दवा दें। ठंड से बचाने के लिए जरूरी गर्म कपड़े जरूर पहनाएं। घर में बना पौष्टिक आहार दें। छह महीने से बड़े बच्चों को हल्की भाप दे सकते हैं।

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