असली वायरस अफवाह हैं, इनसे बचकर पढि़ये जागरण
अखबारों में कोराना का वायरस है ऐसा दुष्प्रचार शरारती तत्व कर रहे हैं ताकि कोराना की आड़ में झूठी खबरों का जाल को फैलाया जा सके लेकिन पाठक शरारती तत्वों की इन कोशिशों को समझ चुका है।
सहारनपुर, जेएनएन। अखबारों में कोराना का वायरस है, ऐसा दुष्प्रचार शरारती तत्व कर रहे हैं, ताकि कोराना की आड़ में झूठी खबरों का जाल को फैलाया जा सके, लेकिन पाठक शरारती तत्वों की इन कोशिशों को समझ चुका है। महाराज सिंह डिग्री कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर डा. दिनकर मलिक कहते हैं कि अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन में इस्तेमाल होने वाला कागज कोरोना वायरस के खतरे से महफूज है। अखबारों से ही सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर विराम लगता है। बताया कि वैज्ञानिकों के अनुसार पैसे कपड़े और हवा पास होने वाली चीजों पर वायरस लंबे समय तक जीवित नहीं रहता, क्योंकि ऐसी चीजों में रिक्त स्थान या छेद सूक्ष्म जीव को फंसा सकते हैं, और इसे प्रसारित होने से रोकते हैं। उन्होंने चेताया कि कोरोना वायरस आंख, नाक और मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सकता है। संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील रहें, समय-समय पर हाथों को सैनेटाइज करते रहिए। इसके अलावा हाथों को लगातार साबुन से धोते रहें। उन्होंने कहा कि अखबार ऐसे वक्त में पाठक के लिये सही सूचनाओं का एक मजबूत आधार हैं, अगर अखबारों को हमसे दूर कर दिया गया तो भय और अफवाहों का बाजार गर्म हो जाएगा। इसलिये दैनिक जागरण जैसे विश्वसनीय अखबार को पढते रहिये और समाज की सही जानकारी प्राप्त करते रहिये।