वक्त के साथ रेलवे भी उड़ा रहा गरीबी का मजाक
लॉकडाउन में वक्त ही नहीं बल्कि रेलवे भी गरीबों का खुलकर मजाक उड़ा रहा है। मडगांव में यूपी के फंसे हजारों कामगारों में से 1564 को लेकर चली ट्रेन रास्ते में कई जगह रुकी लेकिन वहां उतरने ही नहीं दिया।
सहारनपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में वक्त ही नहीं बल्कि रेलवे भी गरीबों का खुलकर मजाक उड़ा रहा है। मडगांव में यूपी के फंसे हजारों कामगारों में से 1564 को लेकर चली ट्रेन रास्ते में कई जगह रुकी लेकिन वहां उतरने ही नहीं दिया। 600 तो अलीगढ़ में उतरे लेकिन इनके अलावा 912 जो यूपी के अन्य जिलों के थे उन्हें भी यहां उतारा गया। स्टेशन पर उतरने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ कामगार तो ऐसे थे जिनकी आंख छलक गई। बोले कि गांव में मां-बाबा बीमार हैं। सोचा था कि रविवार तक किसी तरह पहुंच जाएंगे, लेकिन खराब किस्मत ने सहारनपुर लाकर पटक दिया।
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सी-20, मां-बाबा की तबियत खराब है
वाराणसी का रहने वाला संदीप जो कि पणजी में नौकरी करता था और महीने के महीने गांव मां को पैसे भेजता था तो उनका गुजारा होता था। फैक्ट्री मालिक ने मार्च का वेतन तो अप्रैल में दिया लेकिन इसके बाद पल्ला झाड़ लिया। उधर अब इतने भी रुपये नहीं थे कि गांव भेज पाता। इसी बीच फोन पर बताया कि पिताजी की तबियत खराब है तो गांव में ही एक मित्र से 500 रुपये उधार दिलवा दिए थे। मड़गांव से ट्रेन में बैठे तो वाराणसी के आसपास के जिले में उतारे जाने की बात कही थी लेकिन ट्रेन जब आगरा व अलीगढ़ रुकी तो उतरने नहीं दिया। यहां भेज दिया।
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सी-21, बहुत रोई लेकिन उतरने नहीं दिया
आगरा की संतोष सहारनपुर स्टेशन पर अपने दो साल के बच्चे के साथ हताश बैठी थी। प्रशासन ने भोजन का पैकेट दिया तो खाया तो भूख समाप्त हुई। उसी पैकेट से बेटे को भी खिलाया। बोली कि श्रमिक स्पेशल आगरा पहुंची और रुकी लेकिन उसे उतरने नहीं दिया। बताया कि तुम्हारा टिकट सहारनपुर तक है, इसलिए वहीं जाना होगा। अफसरों के आगे आंसू भी बहाए लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा।
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सी-22, त्रिवेणी में डुबकी लगाउंगा
प्रयागराज का मनोज बोला कि जरूर जाने-अंजाने में कोई पाप हुआ होगा जो अपना गांव अपना प्रदेश छोड़ कर काम की तलाश में गोवा पहुंच गया था। लॉकडाउन में फंसने के बाद दो दिन तो भूखा ही रहना पड़ा था। अब ऐसी ट्रेन में बैठाया दिया कि सैकड़ों किलो मीटर दूर यहां सहारनपुर पहुंचा दिया। किसी तरह घर पहुंच जाउंगा तो त्रिवेणी में डूबकी जरूर लगाउंगा।
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सी-23, ट्रेन में भी नहीं मिल सका भोजन
आजगढ़ का राज कुमार बोला कि वह कोच नंबर 14 में बैठा था। रास्ते में कुछ स्टेशन पर रेलवे ने खाना दिया था। शाम को ट्रेन सवाई माधोपुर पहुंची थी। रेलवे की ओर से भोजन के पैकेट व पानी की व्यवस्था थी लेकिन पैकेट बहुत कम थे। सिर्फ आधे यात्रियों को ही खाना मिल सका। रात से भूख लगी थी तो पानी पीते-पीते यहां पहुंचा।
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इन स्टेशनों के यात्री पहुंच गए यहां
तहसीलदार सदर गोपेश तिवारी ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बरेली, मुरादाबाद, बदायूं, बिजनौर, मिर्जापुर, भदोई, प्रयागराज, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, फतेहपुर, चंदौसी, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, सुल्तानपुर, सिद्धार्थ नगर, महाराजगंज, हरदोई, गोंडा, बस्ती, फरुखाबाद, कन्नौज, बहराईच, लखीमपुर, संभल, रामपुर, सोनभद्र, उन्नाव, चंदोली, बांदा, ललितपुर, अमरोहा, बुलदंशहर, शामली, हापुड़, गोरखपुर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़, अलीगढ़, व मेरठ के 912 कामगार थे। इनके अलावा 52 कामगार सहारनपुर के थे। ----
इन कामगारों को भिजवाया गया
सहारनपुर : गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर व मेरठ के लिए रवाना की गई बस में 37 कामगारों को भेजा गया। बिजनौर के 50, मिर्जापुर, भदोई, प्रयागराज, प्रतापगढ़ के 54, मऊ व आजमगढ़ के लिए दो बसों में 84 लोग गए। इसी तरह बिजनौर व अमरोह के लिए दूसरी बस में 95 कामगारों को भेजा गया। प्रयागराज, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ व भदोई की दूसरी बस में 39 को भेजा गया। रायबरेली, जौनपुर व फतेहपुर की बस में 48 प्रवासियों को भेजा गया। चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर व भदोई के लिए गई बस में 42 प्रवासी बैठाए गए। बुलंदशहर, हापुड़ व शामली की बस में 47 प्रवासी बैठे। अकबरपुर मऊ, बलिया व सुल्तानपुर वाली बस में 31 प्रवासी बैठाए गए। सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, लखनऊ, गोरखपुर वाली बस में 30 प्रवासी, बरेली व हरदोई वाली बस में 42 प्रवासी बैठाए गए। गोंडा व बस्ती की बस में 39, फरुखाबाद, कन्नौज की बस में 45, बहराइच की बस में 41, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल व रामपुर की बस में 44, बरेली व शाहजहांपुर की बस में 38, लखीमपुरी खीरी 45, अमरोहा, मुरादाबाद व रामपुर की एक अन्य बस में 55 को भेजा गया। लखीमपुर खीरी व सीतापुर के लिए 42, रामपुर, हरदोई, कानपुर व उन्नाव की बस में 37 भेजा गया। चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर की बस में 37, फतेहपुर व ललितपुर में 49, कन्नौज की एक अतिरिक्त बस में 46, बांदा वाली में 38 को भेजा गया। इन बसों में कुल 1155 प्रवासी कामगार भेजे गए। श्रमिक स्पेशल में आए 912 के साथ ऐसे प्रवासियों को भी भेजा गया, जो आश्रय स्थल पर इन शहरों के रहने वाले थे।