डार्क जोन के बहाने करोड़ों डकार गए बिजली अफसर
सहारनपुर : वर्ष 2008 में पूरे जनपद को डार्क जोन घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से नए नलकूप
सहारनपुर : वर्ष 2008 में पूरे जनपद को डार्क जोन घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से नए नलकूप कनेक्शनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसी का लाभ उठाते हुए बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर घोटाले का चक्रव्यूह रच डाला। जो किसान नलकूप कनेक्शन के लिए बिजली कार्यालय आता उसे डार्क जोन के बहाने कनेक्शन देने से मना कर दिया जाता। उसके कार्यालय से बाहर निकलते ही विभाग का ही कोई कर्मचारी उसके पीछे लगा दिया जाता और उससे कनेक्शन देने के बदले मोटी रकम मांगी जाती। किसान नेता साकेस चौधरी ने बताया कि दर्जनों किसानों से कनेक्शन की केवल जमानत राशि के नाम पर ही 5 लाख रुपये ले लिए गए। इसके बाद लाइन का एस्टीमेट दो लाख वसूला गया। कई किसानों को फर्जी रसीदें दे दी गई तो किसी को रसीद नहीं दी गई।
कुछ गलती किसानों की भी है
बिजली विभाग के एसई विपिन कुमार शर्मा की मानें तो इस घोटाले में किसानों की भी गलती रही है। जब वह लगातार विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को पैसा दे रहे थे तो उनसे रसीद की मांग करनी चाहिए थी। साथ ही विभाग कार्यालय में जमा अपनी जमानत राशि और लाइन एस्टीमेट के संबंध में जानकारी लेनी चाहिए थी। कार्यालय में संभव नहीं था तो आनलाइन चेक कर सकते थे। इस पूरे घपले में किसान भी बराबर के ही जिम्मेदार कहे जा सकते हैं। किसानों द्वारा कनेक्शन लेने के लालच में मोटी रकम दी गई है, लेकिन किस-किस को कितनी दी, यह कोई किसान बताने को तैयार नहीं है।
तीन लोगों के होते हैं हस्ताक्षर
एसई विपिन कुमार शर्मा ने बताया कि नलकूप कनेक्शन के लिए जेई और एसडीओ के बाद कार्यालय में लिपिक, खंजाची और एक्सईएन के हस्ताक्षर होते हैं। इसके बाद कनेक्शन जारी किया जाता है, लेकिन कई किसानों के कागजों पर एक्सईएन के हस्ताक्षर नहीं हैं और कई पर फर्जी हस्ताक्षर और मुहर लगाई गई है।
बिजेन्द्र ¨सह के हाईकोर्ट जाने से घबराए अफसर
घोटाले से पर्दा ऐसे ही नहीं उठा। इसमें अंबेहटा इस्माईलपुर निवासी किसान बिजेन्द्र पुत्र पीतम ¨सह की बड़ी भूमिका है। बिलों की रसीद, कनेक्शन बुक आदि दस्तावेज होने के बावजूद विभाग अधिकारियों ने उसका कनेक्शन काट दिया। शिकायत करने पर उल्टा बिजली अधिकारियों ने उसे धमकाना शुरू कर दिया। परेशान बिजेन्द्र ¨सह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इससे बिजली अफसर घबरा गए और अपना दामन बचाने के लिए उच्च अधिकारियों को घोटाले से अवगत कराना उनकी मजबूरी बन गई। अब जिलाधिकारी तक बिजेन्द्र ¨सह आदि किसानों पर हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करके मामला खत्म करने का दबाव बना रहे हैं। डीएम पीके पाण्डेय ने बिजेन्द्र ¨सह से कहा है कि उनके कनेक्शन वैध घोषित कर चालू कर दिया जाएगा। इसके लिए उन्हें हाईकोर्ट में बिजली विभाग के पक्ष में हलफनामा लगाना होगा, लेकिन वह नहीं माने। बिजली विभाग, प्रशासन और किसानों के बीच मामला उलझा हुआ है।
इनका कहना है..
यह करोड़ों का घपला है। कनेक्शन डार्क जोन में गलत तरीके से दिए गए हैं। आरोपितों के नाम सहित इस मामले की जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है।
- विपिन शर्मा, एसई।