निरंकार के दर्शन से ही भक्ति का मार्ग प्रशस्त: माता सुदीक्षा
सहारनपुर : सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने कहा कि ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति और निरंकार के दर्शन
सहारनपुर : सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने कहा कि ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति और निरंकार के दर्शन के बाद ही भक्ति का मार्ग प्रारम्भ होता है।
माता सुदीक्षा महाराज सोमवार को देहरादून रोड स्थित संत निरंकारी भवन में हजारों की संगत के समक्ष प्रवचन कर रही थीं। उन्होंने कहा कि अपने सहकर्मो से हमे सच्ची भक्ति और मानव सेवा के लिए समर्पित रहना चाहिए। निरंकारी मंडल एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसे पंजीकृत हुए 70 साल हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि मानव सेवा सर्वप्रिय है और सेवा सिमरण भक्ति का महत्वपूर्ण अंग है। निस्वार्थ मानव सेवा ही सर्वोत्तम सेवा है।
इस मौके पर भजन मंडली ने आकर्षक भजनों की प्रस्तुति दी तथा भक्तों ने गुरु माताजी के जयकारे लगाए। कवि दरबार में कवियों ने सुंदर व आकर्षक कविताएं प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। संयोजक व जोनल इंचार्ज कुलभूषण चौधरी, प्रचारक मनमोहन निरंकारी, सेवादल के रजनीश, मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र अनमोल सहित हजारों की संगत मौजूद रही। समागम स्थल पर जलभराव से परेशानी
संत समागम के लिए आयोजकों की ओर से निरंकारी भवन के पास खाली प्लाट में कार्यक्रम रखा गया था। मैदान पर मंच सहित सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई थीं। लगातार बारिश से कार्यक्रम स्थल पर पानी भर गया। कार्यक्रम निरंकारी भवन के अंदर ही करना पड़ा। आयोजकों का कहना था कि यदि मौसम ठीक रहता तो करीब 40 हजार श्रद्धालु कार्यक्रम में पहुंचते।माता सुदीक्षा महाराज के दर्शन करने व प्रवचन सुनने के लिए लगभग बीस हजार श्रद्धालु पहुंचे थे, जिस कारण जगह कम पड गई। भीड़ इतनी थी कि संगत ने कई घंटे लाइन में खड़े होकर माताजी के हाथ जोड़कर दर्शन किए। स्वयंसेवकों ने संभाली व्यवस्था
संत समागम के दौरान सभी व्यवस्थाएं सैकड़ों निरंकारी स्वयंसेवकों ने संभाल रखी थी। पार्किंग, पानी पिलाना, लंगर, श्रद्धालुओं को लाइन से दर्शन कराना, रास्ता आदि बताने सहित सभी व्यवस्थाएं थी। व्यवस्थित सेवाओं के कारण ही हजारों की भीड़ के आने पर भी हाईवे पर जाम नहीं लगा। निरंकारी सेवादार नगर के घंटाघर, देहरादून चौक, जनकपुरी चौक पर दोपहर से ही तैनात रहे। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को स्टेशन व बस स्टैंड से ऑटो व अन्य वाहनों के द्वारा समागम स्थल पर लाया गया।