32 घंटे का सफर 24 घंटे में करा रहा रेलवे
ट्रेनों की लेटलतीफी के लिए बदनाम रेलवे लॉकडाउन के दौरान अपनी छवि में काफी सुधार किया है। प्रवासी मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने में लगी ट्रेनें 32 घंटे का सफर 24 घंटे में तय कर नया रिकार्ड बना रही हैं। रेल ट्रैक खाली मिलना तथा ट्रेनों का कम ठहराव इसकी अहम वजह है।
सहारनपुर, जेएनएन। ट्रेनों की लेटलतीफी के लिए बदनाम रेलवे लॉकडाउन के दौरान अपनी छवि में काफी सुधार किया है। प्रवासी मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने में लगी ट्रेनें 32 घंटे का सफर 24 घंटे में तय कर नया रिकार्ड बना रही हैं। रेल ट्रैक खाली मिलना तथा ट्रेनों का कम ठहराव इसकी अहम वजह है।
लॉकडाउन में हरियाणा से निकले हजारों प्रवासी मजदूर यहां आकर फंस गए। शुक्रवार से बिहार के प्रवासियों को उनके प्रदेश भेजा जा रहा है। अब तक अंबाला मंडल की दो ट्रेन सीधे कटिहार तथा दो ट्रेन बेतिया सहित दूरस्थ स्टेशनों तक गई हैं। सहारनपुर से कटिहार की दूरी 1436 किलोमीटर है। एक्सप्रेस ट्रेन यह सफर पूरा कराने में करीब 36 घंटे और सुपरफास्ट 31-32 घंटे लेती है लेकिन श्रमिक स्पेशल ट्रेन 23-24 घंटे में कटिहार पहुंच रही है। लॉकडाउन से पूर्व इतने कम समय में शायद ही कोई ट्रेन पहुंची हो।
मालगाड़ी भी 50 घंटे का बना चुकी रिकार्ड
अंबाला रेल मंडल के सीनियर डीसीएम हरिमोहन ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में देश के कोने-कोने तक खाद्यान्न पहुंचाने वाली ट्रेन को अन्नपूर्णा नाम दिया गया है। 84 डिब्बों की इस मालगाड़ी ने 1634 किलोमीटर का सफर 50 घंटे में पूरा कर रिकार्ड कायम किया था। पहले यह ट्रेन इतने सफर में 96 से 100 घंटे लेती थी।
15 ट्रेनों में दिए 18 हजार भोजन पैकेट
रेलवे के प्रोटोकॉल अफसर प्रदीप गिल्होत्रा ने बताया कि सहारनपुर से गुजरने वाली उन 15 ट्रेनों में रेलवे की ओर से मुफ्त भोजन पैकेट व पानी दिया जा रहा है, जो यहां चंद मिनट रुकती हैं। प्रत्येक दिन तीन ट्रेन यहां रुक रही हैं, जिनमें स्टाफ को बदला जाता है। उन्होंने बताया कि इन ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों को रेलवे रोजाना 1200 भोजन पैकेट दे रहा है। 15 ट्रेनों में अब तक भोजन-पानी के 18 हजार पैकेट दिए जा चुके हैं।
---------------- अधिकतम प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाना रेलवे की प्राथमिकता है। इसके लिए प्रत्येक रूट पर कई ट्रेन चलाई जा रही हैं। सहारनपुर सहित अन्य स्टेशनों से चलने वाली ट्रेनें रिकार्ड समय में पहुंच रही है। इससे यात्रियों के दिमाग में बनी रेलवे की लेटलतीफी की छवि जरूर बदलेगी।
-हरिमोहन, सीनियर डीसीएम, अंबाला मंडल