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बैसाखी पर्व को भूला नगर निगम व प्रशासन

सी7-बैसाखी पर्व को भूला नगर निगम व प्रशासन नहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं लगा मेला घाट रहा सूना श्रद्धालु निराश जागरण संवाददाता सहारनपुर पांवधोई नदी धारा को उज्जवल बनाने पर जहां करोड़ों खर्च किए जा रहे है। वहीं नदी के तट पर पंजाबी समाज के प्रमुख त्यौहार लगने वाला मेला इस बार नहीं लग पाया। बैसाखी पर्व को नगर निगम व प्रशासन के भूला दिए जाने से श्रद्धालुओं को भारी निराशा का सामना करना पड़ा है। बता दे कि बैसाखी पर सदियों से बाबा लालदास बाड़ा स्थित पांवधोई नदी के तट पर मेला लगता रहा था तथा हजारों की संख्या में श्रद्धालु न केवल स्नान करने पहुंचते थे बल्कि पूजा अर्चना के साथ ही बच्चों के मूंडन संस्कार सहित अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। बाद में पांवधोई नदीं की उज्जवल धारा गंदे नाले में तब्दील होने के कारण करीब 2

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 10:27 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 10:27 PM (IST)
बैसाखी पर्व को भूला नगर निगम व प्रशासन
बैसाखी पर्व को भूला नगर निगम व प्रशासन

सहारनपुर :पांवधोई नदी धारा को उज्ज्वल बनाने पर जहां करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, वहीं नदी के तट पर बैसाखी पर्व पर लगने वाला मेला इस बार नहीं लग सका। पर्व को नगर निगम व प्रशासन के भूला दिए जाने से श्रद्धालुओं में भारी निराशा रही।

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बता दें कि बैसाखी पर सदियों से बाबा लालदास बाड़ा स्थित पांवधोई नदी के तट पर मेला लगता आ रहा था। हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते थे। पूजा अर्चना के साथ ही बच्चों के मूंडन संस्कार सहित अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। बाद में पांवधोई नदीं की उज्ज्वल धारा गंदे नाले में तब्दील होने के कारण करीब 28 वर्ष पूर्व यहां लगने वाले मेले की परंपरा बंद हो गई थी। करीब दस वर्ष पूर्व तत्कालिन कमिश्नर आरपी शुक्ल ने पांवधोई की धारा को पवित्र बनाने का अभियान छेड़ा था। नदी के उदगम स्थल से लेकर राकेश टाकिज तक न केवल घाटों का निर्माण कराया था, बल्कि बाबा लालदास बाड़े पर बैसाखी मेले के भव्य आयोजन की परंपरा को फिर से शुरू कराया था। प्रशासन के इस कदम से श्रद्धालुओं को खासी राहत मिली थी तथा नदी तट पर धार्मिक अनुष्ठान आदि फिर आरंभ हो गए थे। इसके बाद हर वर्ष हरिद्वार से टैंकरों में गंगाजल मंगाकर श्रद्धालुओं के स्नान व अनुष्ठान आदि की व्यवस्था प्रशासन व निगम कराने में कसर नहीं छोड़ता था। तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के मेले में रहने से श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता जा रहा था। तट पर भव्य मेला आयोजन के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम, दंगल सहित अनेक आयोजन किए जाते थे, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते थे। परन्तु इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिसके कारण श्रद्धालुओं को भारी निराशा सामना करना पड़ा। इससे लोगों में खासी नाराजगी है।

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-बैसाखी मेले की बनाई ही नहीं योजना

हर वर्ष लगने वाले बैसाखी मेले के लिए इस बार न तो प्रशासन तथा न ही नगर निगम द्वारा कोई योजना बनाई गई। हालात यह रहे कि बैसाखी पर चकाचक रहने वाला बाबा लालदास बाड़ा मार्ग पर सफाई तक नहीं हुई। नदी के तट पर मेला व सांस्कृतिक कार्यक्रम तो दूर गंगाजल व साफ पानी तक की व्यवस्था नहीं कराई गई। बैसाखी पर बड़ी संख्या श्रद्धालु नदी तट पर पूजा अर्चना व स्नान को पहुंचे जरूर, लेकिन उन्हें भारी निराशा का सामना करना पड़ा तथा घाट सूने रहे। निगम द्वारा वहां छह पानी के टैंकर उपलब्ध कराने का दावा जरूर किया गया, जिसमें से तीन रामलीला कमेटी द्वारा वापस करने के बात भी कही जा रही है, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत थी तथा लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।

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इन्होंने कहा

बैसाखी पर बाबा लालदास बाड़ा स्थित पांवधोई नदी तट पर मेले का आयोजन रामलीला कमेटी व अन्य संस्थाओं द्वारा किया जाता है। इस बार यह नहीं कराया गया। श्रद्धालुओं के लिए निगम द्वारा सफाई कराने के साथ ही पानी के टैंकर आदि उपलब्ध कराये गए थे। लापरवाही किस स्तर हुई इसकी जांच करा सख्त कार्रवाई की जायेगी।

-ज्ञानेन्द्र सिंह, नगर आयुक्त।


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