प्रभु की चर्चा सुनने से मन को मिलती है शांति: देवी सुदीक्षा
देवी सुदीक्षा सरस्वती ने कहा कि जो हृदय प्रभु की चर्चा सुनकर आनंदित नहीं होता। वह हृदय नहीं। पत्थर है। प्रभु की चर्चा कभी पुरानी नहीं होती। इसे सुनने से मन को शांति मिलती है।
सहारनपुर, जेएनएन। देवी सुदीक्षा सरस्वती ने कहा कि जो हृदय प्रभु की चर्चा सुनकर आनंदित नहीं होता। वह हृदय नहीं। पत्थर है। प्रभु की चर्चा कभी पुरानी नहीं होती। इसे सुनने से मन को शांति मिलती है।
गुरुवार को पंत विहार स्थित सरस्वती सत्संग भवन में श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष में श्रीश्री 108 स्वामी रामानंद सरस्वती की पावन आरती के साथ सभा का शुभारंभ हुआ। प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए देवी सुदीक्षा ने कहा कि जो वह शीश जो प्रभु चरणों में नही झुकता वह उस कड़वी लौकी के समान है जिसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रभु की चर्चा कभी पुरानी नही होती जैसे रामलीला हर वर्ष होती हे लेकिन कभी भी ऐसा नही लगता कि हमने ये देखी हुई है। कार्यक्रम में राजीव कालिया, संजीव जसूजा, कृष्णलाल मक्कड़, सुधीर मिगलानी, अशोक मक्कड़, संजय कालड़ा, कमल जसूजा, नीरज सेतिया, हरीश खुराना, जगदीश खुराना, ओम लोटन, बंटी सुधार, हरीश गुंबर, हरेंद्र बत्रा, कार्तिक, पंकज, अमृत बजाज आदि शामिल रहे।