बकरीद पर पशुओं की आमद कम होने से सूनी हुई मंडिया
ईद उल अजहा का त्योहार निकट होने पर अन्य बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है तथा लोग त्योहार के लिए खरीदारी कर रहे हैं। वहीं इस बार बकरीद के लिए पशुओं की आमद बेहद कम होने से पशु मंडिया सूनी पड़ी हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। ईद उल अजहा का त्योहार निकट होने पर अन्य बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है, तथा लोग त्योहार के लिए खरीदारी कर रहे हैं। वहीं इस बार बकरीद के लिए पशुओं की आमद बेहद कम होने से पशु मंडिया सूनी पड़ी हैं। यह पहला मौका है, जब कुर्बानी के इस पर्व पर मंडिया खाली तथा पशु कारोबारी धंधे से किनारा कर रहे हैं।
पूर्व के वर्षों में बकरीद के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त का कार्य एक माह पूर्व ही शुरू हो जाता था। हालात यह रहते थे कि शहरी क्षेत्र में बकरा व भैंस मंडियों में पशुओं की भरमार रहती थी। यही नहीं सैकड़ों की संख्या में पशु विक्रेता अपने पशुओं को सजा-धजा अपने साथ लेकर अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में पैदल निकलते थे, तथा मंडियों के अलावा सड़कों तक पर पशुओं की खरीद फरोख्त की जाती थी। इस बार स्थिति एकदम उलट है, बकरीद के चंद रोज शेष रहने के बावजूद सड़क पर पशुओं को बेचने वाले तो नजर ही नहीं आ रहे हैं, मंडियों में भी नाम के लिए कुर्बानी के पशुओं को लाया जा रहा है। पशुओं की आमद कम होने के कारण दाम भी आसमान पर पहुंच रहे है।
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तीन स्थानों पर लगती है पशु मंडिया
बकरीद पर महानगर में तीन स्थानों पर पशु मंडिया लगती है। भेंसों की स्थाई पशु मंडी कमेला कालोनी व मंडी समिति रोड पर तथा बकरा मंडी राघंड़ों के पुल से लेकर आतिशबाजान पुल तक लगती है। इन मंडियों में हर वर्ष पशु व्यापारियों द्वारा हरियाणा, पंजाब, हिमाचल तथा राजस्थान तक से बड़ी संख्या में पशुओं को बेचने के लिए लाया जाता था। इन प्रदेशों के व्यापारी भी पशुओं के साथ मंडियों में पहुंच लाखों का कारोबार करते थे। इस बार हालात एकदम विपरीत है, पशु व्यापारी बकरीद पर लगने वाली पशु मंडियों में पशु लाने के किनारा कर रहे है। यही कारण है कि बकरीद से पूर्व जिन मंडियों में हजारों की संख्या में पशु कुर्बानी को लाए जाते थे वहां दो चार ही नजर आ रहे है।
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क्या कहते हैं पशु व्यापारी
नाम नहीं छापने की शर्त पर कई पशु व्यापारियों का कहना है कि माब लिचिग की बढ़ती घटनाओं तथा पशु लाने ले जाने में पुलिस की सख्ती तथा खतरा होने के मद्देनजर बाहर के पशु व्यापारी पशुओं के साथ आने को तैयार नहीं है। राजस्थान से बकरों का कारोबार करने वाले कई व्यापारियों का कहना है कि पशुओं को लाना सुरक्षित नही रहने के कारण पशुओं को नहीं मंगाया अथवा लाया जा रहा है।
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