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वुडकार्विंग निर्यात बाधित होने से ईपीसीएच ने मांगी मंत्रालयों से राहत

रूस-यूक्रेन युद्ध से बढ़ी महंगाई का वुडकार्विंग निर्यात पर पड़ रहा असर

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 12:09 AM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 12:09 AM (IST)
वुडकार्विंग निर्यात बाधित होने से ईपीसीएच ने मांगी मंत्रालयों से राहत
वुडकार्विंग निर्यात बाधित होने से ईपीसीएच ने मांगी मंत्रालयों से राहत

वुडकार्विंग निर्यात बाधित होने से ईपीसीएच ने मांगी मंत्रालयों से राहत

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सहारनपुर, जेएनएन। यूरोप और अमेरिका में बढ़ती महंगाई का असर पूरे देश के साथ सहारनपुर के वुडकार्विंग निर्यात पर भी पड़ रहा है। समुद्री परिवहन का किराया बढ़ने से निर्यातक खासे परेशान हैं। निर्यातकों की इस परेशानी को देखते हुए ईपीसीएच (हस्त शिल्प निर्यात संवर्धन परिषद) के महानिदेशक राकेश कुमार व चेयरमैन राजकुमार मल्होत्रा ने वाणिज्य,उद्योग मंत्रालय और शिपिंग मंत्रालय से मामले में हस्तक्षेप करने और लंबी अवधि में एक वैकल्पिक समाधान देने का अनुरोध किया है। सहारनपुर के विश्व प्रसिद्ध वुडकार्विंग उत्पादों का दुनियाभर में निर्यात किया जाता है। कोरोना महामारी और छह माह से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप व अमेरिका में पैदा हुई महंगाई से सहारनपुर का वुडकार्विंग उद्योग भी प्रभावित है। निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका व यूरोप ने महंगाई के चलते आयात के आर्डर होल्ड कर दिए हैं। इससे सहारनपुर के निर्यातकों का 100 से 125 करोड़ रुपये तक के आर्डर होल्ड हो गए हैं। ईपीसीएच के महानिदेशक राकेश कुमार ने बताया कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय तथा शिपिंग मंत्रालय से समस्या का वैकल्पिक समाधान करने की अपील की गई है। महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए भारत में भी संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह एक समान तंत्र शुरू किया जा सकता है। हस्तशिल्प निर्यातकों को कुछ राहत प्रदान करने के लिए निर्यातकों को कंटेनर माल ढुलाई पर सब्सिडी दिए जाने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने मंत्रालय को बताया कि माल ढुलाई और कंटेनर शुल्क के तहत अमेरिकी आयातकों ने भारतीय हस्तशिल्प निर्यातकों को दिए गए आर्डर को या तो रोकना या रद् करना शुरू कर दिया है। इससे निर्यातकों, विशेष रूप से हस्तशिल्प उत्पादों के उत्पादन में लगे छोटे और एमएसएमई निर्यातकों के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है। ----- शिपिंग शुल्क अधिक लिया जाना विसंगति निर्यातक रामजी सुनेजा ने बताया कि हाल ही में भारत में माल ढुलाई शुल्क में भारी वृद्धि हुई है। इससे हस्तशिल्प निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धी व्यापार और भी कठिन हो गया है। हालांकि प्रतिस्पर्धी देशों ने माल ढुलाई शुल्क में कमी की है। अमेरिकी सरकार ने तो हाल ही में शिपिंग और लाजिस्टिक्स के मनमाने और अनुचित कामकाज को रोकने के लिए एक कानून पारित किया है। इस कानून के तहत इन शिपिंग कंपनियों ने चीन से संयुक्त राज्य अमेरिका जाने वाले कंटेनरों के किराए में भारी कटौती की है। भारत से अमेरिका जाने वाले एक कंटेनर के किराए के लिए लगभग 5000-6000 डालर का अतिरिक्त शिपिंग शुल्क लिया जा रहा है।


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