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युवाओं को तेजी से चपेट में ले रहा है हेपेटाइटिस-सी

जाने-अनजाने में युवा हेपेटाइटिस बीमारी की चपेट में तेजी से घिर रहे हैं। खासकर इसकी चपेट में वह युवा आ रहे हैं जो नशे की डोज लेने के लिए ग्रुप में एक ही इंजेक्शन का प्रयोग बार-बार कर रहे हैं। इसी वजह से कई बार उनकी संतान भी इसकी चपेट में आ जाती है। शुरुआती दिनों में इस बीमारी का ज्यादा कुछ दुष्प्रभाव नहीं दिखाई देता लेकिन समय से इलाज न होने से यह लीवर को डैमेज करता है जो कि अंतत कैंसर का कारण बनता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 11:21 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 11:21 PM (IST)
युवाओं को तेजी से चपेट में ले रहा है हेपेटाइटिस-सी

सहारनपुर, जेएनएन। जाने-अनजाने में युवा हेपेटाइटिस बीमारी की चपेट में तेजी से घिर रहे हैं। खासकर इसकी चपेट में वह युवा आ रहे हैं, जो नशे की डोज लेने के लिए ग्रुप में एक ही इंजेक्शन का प्रयोग बार-बार कर रहे हैं। इसी वजह से कई बार उनकी संतान भी इसकी चपेट में आ जाती है। शुरुआती दिनों में इस बीमारी का ज्यादा कुछ दुष्प्रभाव नहीं दिखाई देता, लेकिन समय से इलाज न होने से यह लीवर को डैमेज करता है, जो कि अंतत: कैंसर का कारण बनता है।

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शहर के प्रतिष्ठित डा. संजीव मिगलानी ने बताया कि प्रति वर्ष देश में हेपेटाइटिस बी व सी की चपेट में आने से लाखों लोग रोगी बन जाते हैं। अब सहारनपुर में ही लोग इस रोग की चपेट में आने लगे हैं, क्योंकि कई बार युवा नशे की लत की वजह से लापरवाही बरतते हैं। उन्होंने एक स्टडी के हवाले से बताया कि दुनिया में हेपेटाइटिस से अब तक 32 करोड़ से ज्यादा लोग जान गवां चुके हैं। यह रोग इतनी तेजी से फैल रहा है कि हर दो मिनट में एक की मौत हो रही है। हर साल 28 जुलाई को व‌र्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम हेपेटाइटिस फ्री फ्यूचर है।

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हेपेटाइटिस के प्रकार

-हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी व भोजन के सेवन से होता है।

-हेपेटाइटिस, बी, सी और डी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है।

-हेपेटाइटिस ए और ई अपेक्षाकृत कम खतरनाक होता है।

-हेपेटाइटिस बी, सी और डी लीवर को नुकसान पहुंचाते है।

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संक्रमण के प्रमुख कारण

-दूसरे का ट्रूथ-पेस्ट व शेविंग रेजर इस्तेमाल करना, सीरिज व सर्जरी के उपकरणों को बिना स्ट्रालाइजेशन के इस्तेमाल करना।

-इंजेक्शन से किसी व्यक्ति का नशा करना, असुरक्षित तरीके से यौन संबंध बनाना, गलत तरीके से खून देना या चढ़वाना और दूषित खानपान आदि।

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लक्षण-

भूख न लगना, जी मचलाना व पेट में दर्द होना। आंखों में पीलापन, थकान और तेजी से वजन कम होना। पाचन संबंधी समस्या, उल्टियां आना, पैरों में सूजन, सिर में दर्द, हल्का बुखार रहना और पेशाब का रंग पीला होना प्रमुख रूप से है।


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