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रबड़ फैक्ट्री में भंयकर आग दमकल की गाड़ियों ने काबू पाया

शारदानगर क्षेत्र में स्थित एक रबड़ फैक्ट्री में आग लगने से लाखों रुपये का नुकसान हो गया। भंयकर आग के चलते आसपास रहने वाले लोगों को भी मकान खाली कर बाहर निकलना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 10:54 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 10:54 PM (IST)
रबड़ फैक्ट्री में भंयकर आग दमकल की गाड़ियों ने काबू पाया

सहारनपुर, जेएनएन। शारदानगर क्षेत्र में स्थित एक रबड़ फैक्ट्री में आग लगने से लाखों रुपये का नुकसान हो गया। भंयकर आग के चलते आसपास रहने वाले लोगों को भी मकान खाली कर बाहर निकलना पड़ा। मौके पर पहुंची दमकल की गाड़ियों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। आग लगने कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है।

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थाना कुतुबशेर क्षेत्र के शारदा नगर क्षेत्र में आईआईए के पूर्व चेयरमैन आरके धवन की आरएस इंटर प्राइजेज के नाम से रबड़ फैक्ट्री है। शनिवार की दोपहर इसमें शार्ट सर्किट से आग लग गई। मौके पर एक-एक करके दमकल की तीन गाड़ियां पहुंची और आग पर काबू पाने का प्रयास किया। इन गाड़ियों को भी दो-दो बार भरवाया गया। मुख्य अग्निशमन अधिकारी तेजवीर सिंह ने बताया कि आग इतनी भंयकर थी कि आसपास के घरों में भी आग का असर पहुंच रहा था, जिस कारण उन लोगों को व निकट के एक कोचिग सेंटर को खाली कराकर आग पर काबू पाया गया। गनीमत यह रही कि शनिवार को लाकडाउन होने के कारण कोई जनहानि नहीं हुई।

आग के कारण एक मकान में दरार आ गई। फैक्ट्री मालिक के अनुसार फैक्ट्री में लाखों का माल जलकर खाक हो गया, गनीमत यह रही कि फैक्ट्री में कोई भी वर्कर नहीं था, जिससे बड़ी घटना होने से टल गई।

घरों में रहकर मनाया प्रकाश पर्व

सरसावा: सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेगबहादुरजी का 400वा प्रकाश पर्व कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं ने घरों में रहकर मनाया। इस दौरान उनकी कुर्बानियों को भी याद किया गया।

अंबाला रोड श्री गुरुद्वारा साहिब में हुए कार्यक्रम में गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह जी ने कहा कि श्री गुरु तेगबहादुर का प्रकाश एक अप्रैल 1621 को श्री अमृतसर साहिब में हुआ था। उन्होंने कश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिदुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाए जाने का विरोध किया। इस्लाम स्वीकार नहीं किये जाने के कारण 1675 में तत्कालीन शासक औरंगजेब ने दिल्ली बुलाकर चांदनी चौक में उनका शीश कटवा दिया था, परन्तु गुरुजी ने इस्लाम कबूल नहीं किया। उनकी याद में आज भी दिल्ली में गुरुद्वारा शीशगंज और रकाबगंज साहिब उनकी कुर्बानियों के लिए याद किया जाता है।


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