Saharanpur: बाढ़ में कार बहने से हुई मां की मौत, उन्हें याद कर बिलख पड़ीं दोनों बेटियां
सहारनपुर में शाकंभरी नदी में श्रद्धालु परिवार की एक कार बह गई। इसमें एक महिला की मौत हो गई जबकि उनकी दो बेटियों और चालक को लोगों ने बचा लिया। महिला की एक बेटी को एक किलोमीटर दूर भूरादेव के पास वनकर्मियों ने नदी से निकाला।
सहारनपुर, जेएनएन। आश्रम के लोग जैसे ही बाढ़ से बचाई गई मेघा व तान्या को लेकर भूरादेव पहुंचे तो यह दोनों युवतियां अपनी बहन व मम्मी के बारे में बार-बार पूछने लगी। शायद उन्होंने अनहोनी का आभास हो चुका था। इसलिए दोनों बुरी तरह बिलखकर कहने लगी कि वह तो माता के दर्शन करने आई थी। इनमें से एक युवती तो बेहोश होने लगी, तो अधिकारियों ने सीओ की गाड़ी से इन्हें बेहट सीएचसी पहुंचाया।
दो दिन पहले भी बहे थे वाहन, नहीं लिया पुलिस प्रशासन ने सबक
पुलिस प्रशासन ने दो दिन पहले ही शाकंभरी में बाढ़ में कई वाहन बहने की घटना से भी सबक नहीं लिया। यदि मंगलवार की सुबह भूरादेव बाढ़ चौकी पर पुलिस और प्रशासन के कर्मचारी होते तो शायद यह हादसा टल जाता। यह भी सही है कि श्रद्धालुओं भी पानी में घुसने का दुस्साहस करते हैं लेकिन पुलिस के रोकने पर वह रुक सकते हैं। इसी बात को लेकर आश्रम के संत ने भूरादेव पर अधिकारियों के सामने हंगामा भी किया उनका कहना था कि चौकी सिर्फ नाम की है।
शाकंभरी में लगातार मंडरा रहा बाढ़ का खतरा
सहारनपुर जेएनएन। मंगलवार की तड़के शाकंभरी नदी में अचानक आई बाढ़ ने एक महिला श्रद्धालु की जान ले ली। जबकि कार चालक सहित महिला की 3 बेटियां बाल-बाल बच गई। वर्ष 2019 में भी शारदीय नवरात्र मेले के समय बाढ़ आ गई थी। इसके बाद प्रशासन ने इस मेले को नागन माफी में लगवाया था।
बरसाती नदी बनी रहती है खतरा
गौरतलब है कि सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी परिक्षेत्र के बीचो-बीच बरसाती नदी हमेशा खतरा बनी रहती है। इस नदी को माता शाकंभरी के दर्शन करने जाने के लिए श्रद्धालु बचा भी नहीं सकते हैं। यहां वैसे तो वर्ष में तीन मेले लगते हैं। लेकिन शारदीय नवरात्र मे लगने वाला मेला सबसे बड़ा माना जाता है जो अब श्राद्ध पक्ष के तत्काल बाद शुरू हो जाएगा। मेले का बाजार शाकंभरी मंदिर से भूरा देव तक नदी में ही लगता है।
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वर्ष 2019 में भी आई थी अचानक बाढ़
वर्ष 2019 में इसी मेले के समय अचानक बाढ़ आई थी। जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए की गई पुल व बैरीकेडिंग आदि की व्यवस्थाओं के साथ ही मेले के बाजार की दुकानें बह गई थी। यही नहीं मंदिर के सामने से दो लोग बह गए थे। इसके बाद प्रशासन ने मेले की दुकानें नागल माफी में लगवा दी थी। इस बार मौसम का मिजाज खराब है। खास बात यह है कि मैदानी क्षेत्रों में तो बरसात कम है लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बरसात हो रही है। यही कारण है कि शिवालिक पर्वत से निकलने वाली घाड़ क्षेत्र की नदियों में इस बार बार-बार बाढ़ के हालात बन रहे हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन को मेले में बाढ़ से सुरक्षा के उपायों पर अधिक बल देना पड़ेगा। कई बार स्थिति यहां श्रद्धालुओं के दुस्साहस के चलते भी बिगड़ती है। ऊपर से तेज धार आने की आशंका के बावजूद श्रद्धालु नदी में घुसने का खतरा नहीं मानते। इससे कई बार स्थिति विकट हो जाती है।