Saharanpur News: ग्लोकल यूनिवर्सिटी परिसर में शावकों के साथ घूम रही गुलदार, खतरे में छात्र-छात्राओं की जान
Saharanpur News तेंदुआ और गुलदार आबादी क्षेत्र का रुख करने लगे है। हालांकि वन विभाग आरक्षित वन क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए पीने की पर्याप्त व्यवस्था का दावा करता है। लेकिन गर्मी शुरू होते ही यह वन्यजीव जंगल से बाहर पानी की तलाश में निकलने लगते हैं।
जागरण संवाददाता, बेहट। ग्लोकल यूनिवर्सिटी परिसर में 10 दिन से दो शावकों को के साथ घूम रही मादा गुलदार से यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं एवं अन्य वहां मौजूद लोगों को खतरा बना हुआ है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन वन विभाग के अधिकारियों को बार-बार इस खतरे से बचाने की मांग कर रहा है। लेकिन विभाग शायद इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है।
हाथियों की आमद थम गई
शिवालिक की तलहटी के क्षेत्र में कभी हाथियों का खतरा होता था। अक्सर पानी की तलाश में हाथी जंगल से बाहर आबादी क्षेत्र में उतर आते थे और फसलों को नुकसान करते थे। यही नहीं मोहंड रेंज में उस समय हाथी ने कई जान भी ले ली थी। लेकिन पिछले लगभग एक दशक से आबादी क्षेत्रों की ओर हाथियों की आमद थम गई। अब इस समस्या ने और भी गंभीर रूप ले लिया है। यह स्थिति क्षेत्र के लोगों के लिए जान का खतरा बनती है।
पिछले 10 दिनों से मादा गुलदार शावकों के साथ घूम रही है
खूंखार जानवर जंगल न छोड़े इसके लिए वन विभाग के स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। विभागीय गंभीरता का पता तो इस बात से भी चलता है कि ग्लोकल यूनिवर्सिटी में पिछले 10 दिनों से मादा गुलदार शावकों के साथ घूम रही है और वन विभाग की टीम ने अभी तक मौके पर पहुंचकर उसे पकड़ने के लिए एक पिंजरे की व्यवस्था के अलावा अन्य कोई उपाय नहीं किया है।
जान को खतरा हो सकता है
यूनिवर्सिटी परिसर में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं प्रोफेसर व अन्य स्टाफ रहता है। ऐसे में किसी की भी जान को खतरा हो सकता है। वह भी तब जब मादा गुलदार यूनिवर्सिटी के भवनों में भी घूम रही है। इस मामले को वन विभाग को गंभीरता से लेकर गुलदार को पकड़ने के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
वन क्षेत्राधिकारी अरविंद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने पिंजरा लगवा दिया है। बाकी तो जंगली जानवर है इसे रोका कैसे जा सकता है। बाकी वह गुलदार को पकड़वाने की व्यवस्था करते हैं। गौरतलब है कि विगत वर्ष इस यूनिवर्सिटी परिसर से गुलदार का एक शावक वन विभाग ने पकड़ कर जंगल में छोड़ा था।