Ayodhya Verdict: अयोध्या पर अदालत का फैसला समझ से परे : दारुल उलूम
दारुल उलूम के मोहतमिम की देश के मुसलमानों से अमनो अमान कायम रखने की अपील। मोहतमिम नौमानी बोले जिस जगह एक बार मस्जिद बन गई वह मस्जिद ही रहती है।
सहारनपुर, जेएनएन। अयोध्या मामले पर आए देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले पर इस्लामी तालीम के सबसे बड़े मरकज और मुसलमानों की आस्था के केंद्र दारुल उलूम देवबंद ने हैरत जताई है। कहा है कि मस्जिद के इतने सबूत होने के बाद भी अदालत का यह फैसला पूरी तरह समझ से परे है। साथ ही दारुल उलूम ने देश के मुसलमानों से अमनो अमान कायम रखने की अपील की है।
दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ़्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि बाबरी मस्जिद के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है वह बेहद हैरतअंगेज और समझ से परे है। इस कदर स्पष्ट सबूतों के बावजूद यह फैसला अक्ल में आने वाला नहीं है। दूसरी बात यह है कि मुकदमा विवादित भूमि पर मालिकाना हक को लेकर था और कोर्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया कि जमीन का मालिक कौन है। जहां तक मस्जिद का ताल्लुक है तो हमेशा से हमारा यह ही रुख रहा है कि मस्जिद अल्लाह की मिल्कियत है और मुसलमान मस्जिद की जमीन का मालिक नहीं होता है।
एक बार मस्जिद बन जाए तो...
जिस जगह एक बार मस्जिद बन गई वह मस्जिद ही रहती है। मस्जिद की हैसियत को किसी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है। नौमानी ने कहा कि जहां तक फैसले को कबूल करने या न करने का सवाल है तो इसका निर्णय मामले के पक्षकार करेंगे और और यह भी वही तय करेंगे कि इसमें आगे क्या कदम उठाना है। मौलाना नौमानी ने देश के मुसलमानों से अमन बरकरार रखने की अपील की और कहा कि अमनों अमान हर हाल में बाकी रखना वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। मुसलमान न कोई खुद ऐसी हरकत करें जो विवाद का कारण बने और न किसी के उकसावे में आकर कोई गलत कदम उठाएं।