शीतलहर, कोहरा व बादल छाने से बढ़ती जा रही ठंड
सहारनपुर :करीब एक माह से जिले का मौसम बेहद सर्द चल रहा है। रात के अंतिम पहर में छाने
सहारनपुर :करीब एक माह से जिले का मौसम बेहद सर्द चल रहा है। रात के अंतिम पहर में छाने वाला कोहरा तथा पड़ने वाले पाले के कारण पारा शून्य के करीब पहुंचता रहा है। इसके अलावा दिन में चलने वाली शीतलहर सर्दी के प्रकोप को निरंतर बढ़ा रही है।
बुधवार को सुबह की शुरुआत सर्दी व कोहरे से हुई। सुबह 8 बजे के करीब बर्फीली हवाओं के चलने के बाद कोहरा छंटा तथा धूप ने रंगत दिखाने का प्रयास किया। करीब 9.30 बजे के करीब आसमान में हल्के बादल छाने से धूप सर्दी से राहत दिलाने में नाकाफी साबित हुई। पूरा दिन धूपछांव का खेल जारी रहा, रही सही कसर दिन में भी चलने वाली तेज बर्फीली हवाओं ने लोगों की कंपकपी छुड़ाकर पूरी कर दी।
सुबह मौसम खुलता जरूर, धूप भी निकली, लेकिन बादलों की आवाजाही के बीच अपनी रंगत नहीं दिखा पाया। उधर, शाम ढलने से पूर्व जिस प्रकार शीललहर जोर पकड़ना शुरू करती है, उससे लोग जल्दी बिस्तरों में सिमट जाने को मजबूर होकर रह गए हैं। उधर, पारा भी निरंतर उतरता चढ़ता रहा है। बुधवार को तापमान न्यूनतम तीन डिग्री तथा अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मौसम वैज्ञानिक डा. अशोक कुमार का कहना है कि हल्के बादलों की चाल के बीच मौसम आमतौर पर शुष्क रहेगा। छह से 10 किमी की रफ्तार से रह-रह कर बहने वाली हवाएं शीतलहर बरकरार रहेगी। बढ़ता जा रहा बीमारियों का प्रकोप
सर्दी बढ़ने के साथ मौसमी बीमारियों ने भी जिले में तेजी से पांव पसारे हैं। सहारनपुर में स्वाइन फ्लू का खतरा पहले ही मंडरा रहा है। उस पर मौसमी बीमारियों से लोग परेशान हैं। तेज बुखार, उल्टी, डायरिया, कंपकपी आदि बीमारियां जिले के प्रत्येक क्षेत्र में अपना घर करती जा रही हैं। जिला अस्पताल व निजी चिकित्सकों के यहां सबसे अधिक भीड़, इन्हीं रोगों से पीड़ित लोगों की है। इस बार सूखी ठंड पड़ने से बीमारियां बढ़ रही हैं, एक बार भी वर्षा नहीं हुई है, बारिश होने के बाद ही ठंड व बीमारियों से राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बाजारों व परिवहन का बिगड़ा शेड्यूल
भीषण सर्दी के चलते बाजारों व सड़क तथा रेल परिवहन का शेड्यूल पूरी तरह से बिगड़ कर रह गया है। बाजार तो देर से खुलने के साथ ही जल्दी बंद हो रहे हैं। रेल व सड़क यातायात भी सुचारुनहीं रह पाया है। अनेक ट्रेनें कैंसिल करने के बावजूद संचालित ट्रेनों का दो से ढाई घंटे देरी से चलना आम बात हो गई है।