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चाक पर भारी पड़ रहा चाइनीज आइटम

छुटमलपुर (सहारनपुर) : मिट्टी को चाक पर रखकर हाथ की कला से दिये का आकार देने वालों के

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 09:52 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 09:52 PM (IST)
चाक पर भारी पड़ रहा चाइनीज आइटम
चाक पर भारी पड़ रहा चाइनीज आइटम

छुटमलपुर (सहारनपुर) : मिट्टी को चाक पर रखकर हाथ की कला से दिये का आकार देने वालों के दिये तले अंधेरा है। इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम की अंधी दौड़ के चलते माटी से बने दिये में अब कोई तेल डालने व बाती सुलगाने को तैयार नहीं है। पुश्तैनी धंधे पर पड़ रही चाईनीज आईटमस की मार से कुम्हारों के माथे पर ¨चता की लकीरें उभर रही है और उन्हें परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है। कस्बे से लगते पुवांरका ब्लाक के गंदेवडा गांव में मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य बडे पैमाने पर होता है और सैकड़ों लोगों की रोजी रोटी इस धंधे से जुडी हुई है। सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी इस धंधे को करते चले आ रहे कुम्हार जाति के लोगों के पास परिवार का पेट पालने के लिए इसके अलावा अन्य कोई साधन नहीं है। बच्चों से लेकर घर परिवार की महिलाओं व बुढ़ापे की दहलीज पर कदम रख चुके लोग इसी धंधे में लगे रहते है। कोई माटी की गुंथाई कर रहा होता है तो कोई उसे चाक पर रखकर बर्तनों, गमलों व दीयो आदि का रूप दे रहा होता है। छोटे बच्चे कच्चे बर्तनों को सूखने के लिए धूप में रखने और महिलाएं सूखे बर्तनों को पकाने के लिए आवे में लगाने का काम कर रही होती है। दिन रात की कड़ी मशक्कत के बाद भी इन्हें भर पेट भोजन नसीब नहीं हो पाता है। इस धंधे में लगे गंदेवड़ा के लोग बताते है कि अब तो उन्हें मिट्टी भी मोल लेनी पड़ती है और उपर से खनन के बहाने उनका शोषण भी किया जाता है। विद्युत विभाग की छापेमारी और अवैध वसूली से परेशान होकर अब अधिकांश लोग चाक चलाने को बिजली के स्थान पर सोलर लाइट का इस्तेमाल कर रहे है। राजा, काला, इंद्र, बिजेंद्र व रमेश आदि बताते है कि कभी दीपावली पर उनकी भी दीवाली हुआ करती थी और बड़ी संख्या में मिट्टी के बर्तन व दीयो की बिक्री से उन्हें अच्छी खासी आय प्राप्त हो जाया करती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम के बढ़ते प्रचलन के कारण अब दीयों व मिट्टी से बने बर्तनों की बिक्री काफी कम हो गई है। चाईनीज आईटम की अंधी दौड़ के चलते अब अधिकांश लोग मिट्टी के दीयों में तेल डालना व बाती सुलगाना पसंद नहीं करते है। जिसके चलते उनके धंधे पर मंदी का संकट मंडरा रहा है और रात दिन की मेहनत के बाद भी उन्हें परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है।

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