गिरिराज सिंह के बयान पर बोले सांसद हाजी फज़लुर्रहमान,...नहीं तो होते अंग्रेजों के गुलाम Saharanpur News
बसपा सांसद हाजी फज़लुर्रहमान ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा देवबंद को आतंक की जमीन बताए जाने संबंधी बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सहारनपुर, जेएनएन। सहारनपुर से बसपा सांसद हाजी फज़लुर्रहमान ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा देवबंद को आतंक की जमीन बताए जाने संबंधी बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री का यह बयान शर्मनाक है, इसकी जितनी निंदा की जाए उतना कम है। देवबंद वह स्थान है, जिसने देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी। यहां के उलमा कराम ने लाठियां खाईं, फांसी के फंदों को चूमा, जेल गए और शहीद हुए। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद न होता तो गिरिराज सिंह अंग्रेज़ो के ग़ुलाम होते।
किस हक से लगा रहे इल्जाम
दारुल उलूम देवबंद के ही मौलाना महमूद हसन, मौलाना हुसैन अहमद मदनी और दूसरे बुजुर्गों ने माल्टा की जेल में तकलीफ बर्दाश्त की। अब देवबंद के बुजुर्गों और उलमा पर आतंकवाद का इल्ज़ाम वह लोग लगा रहे हैं, जिनके नेताओं ने स्वतंत्रता की लड़ाई कभी नहीं लड़ी। अंग्रेजों के खाई बढ़ाने के एजेंडे को देश की आज़ादी के बाद गिरिराज सिंह और संघ परिवार व भाजपा से जुड़े हुए लोग आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
दूसरों पर अंगुली उठाने का अधिकार नहीं
सांसद हाजी फज़लुर्रहमान ने कहा कि गिरिराज सिंह की पार्टी भाजपा ने तो आतंकवाद के आरोप में सज़ा काट चुकी साध्वी प्रज्ञा को संसद में पहुंचाने का काम किया, जिन पर आज भी आतंकवाद के आरोप में केस चल रहा है। ऐसे में जो खुद दागी हों उन्हें दूसरों पर अंगुली उठाने का अधिकार नहीं है। कहा कि दारुल उलूम देवबंद ने हमेशा देश की भलाई के लिए काम किया है और जब भी देश पर या संविधान पर आंच आई तो दारुल उलूम ने आगे आकर देश और संविधान की रक्षा की। उन्होंने सवाल उठाया कि गिरिराज सिंह बताए कि संघ परिवार के मुख्यालय नागपुर में स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज क्यों नहीं फहराया जाता जबकि इन दोनों रष्ट्रीय पर्व पर दारुल उलूम में बड़ी शान से तिरंगा झंडा लहराया जाता है।
हिंदूू समाज से माफी मांगें
सांसद ने कहा कि गिरिराज सिंह को हिंदू समाज से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने गंगा नदी के उद्गम स्थान गंगोत्री का नाम आतंकवाद से जोड़ा है, ऐसे में हिंदू समाज उन्हें कभी माफ नहीं करेगा क्योंकि ये लोग अपनी राजनीति के लिए धर्म को भी बदनाम करने से बाज़ नहीं आते। सांसद ने कहा कि शाहीन बाग़ उस इंक़लाब का नाम है जो संविधान को बचाने के लिए शुरू किया गया है क्योंकि नागरिकता संशोधन अधिनियम, एनपीआर व एनआरसी संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।