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आशुतोष तो चला गया, सिस्टम पसीजा तक नहीं

छह साल की बेटी आहाना को गोद में छिपाकर सुबक रही संगीता रह-रह कर दहाड़ मार रही है कोई सांत्वना देता है तो चिल्लाते हुए सवाल पूछ बैठती है कि क्या जिला प्रशासन अब भी जागा या नहीं..? मेरा आशु तो अब हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ गया लेकिन सिस्टम को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा तभी तो 30 जून से अब तक एक भी अफसर उनका हाल पूछने के लिए अस्पताल तक नहीं पहुंचा। बोली मैं छोड़ूंगी नहीं न्याय के लिए जिस भी दहलीज का दरवाजा खटखटाना हो वहां तक जाउंगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 10:34 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 10:34 PM (IST)
आशुतोष तो चला गया, सिस्टम पसीजा तक नहीं

सहारनपुर, जेएनएन। छह साल की बेटी आहाना को गोद में छिपाकर सुबक रही संगीता रह-रह कर दहाड़ मार रही है, कोई सांत्वना देता है तो चिल्लाते हुए सवाल पूछ बैठती है कि क्या जिला प्रशासन अब भी जागा या नहीं..? मेरा आशु तो अब हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ गया, लेकिन सिस्टम को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा, तभी तो 30 जून से अब तक एक भी अफसर उनका हाल पूछने के लिए अस्पताल तक नहीं पहुंचा। बोली मैं, छोड़ूंगी नहीं, न्याय के लिए जिस भी दहलीज का दरवाजा खटखटाना हो, वहां तक जाउंगी।

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शहर के प्रतिष्ठित सीए के दफ्तर में आशुतोष शर्मा व उनकी पत्नी संगीता दोनों ही बतौर एकाउंटेंट काम करते थे। साधारण परिवार से संबंध रखने वाला आशुतोष कायदे-कानून को मानता था, इसलिए बाइक के पूरे कागज तो साथ रखता ही था, साथ ही बिना हेलमेट के कभी चलता नहीं था। 30 जून को भी आशुतोष व्यक्तिगत काम से हेलमेट पहन कर जिला अस्पताल के ओर गया था, जहां अचानक बिजली का ट्रांसफार्मर फट गया और ट्रांसफार्मर का पूरा तेल उसके सहित कुछ अन्यों के ऊपर गिर पड़ा था। हेलमेट पहने था, इसलिए सिर व चेहरा तो बच गया लेकिन बाकी शरीर पर खौलता हुआ तेल गिरा, जिससे वह बुरी तरह से झुलस गया।

आशुतोष की पत्नी संगीता बोली कि पहले तो जिला अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन चंद घंटों बाद ही पीजीआई चंडीगढ़ के लिए रेफर कर दिया। वहां लाखों रुपये खर्च हो गए लेकिन एक भी दिन न तो जिला प्रशासन का और न ही बिजली विभाग का कोई कर्मचारी या अधिकारी हाल जानने पहुंचा। दुख की बात यह कि हादसे की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं हुआ, बिजली विभाग एक निजी कंपनी पर टालने लगा तो निजी कंपनी बिजली विभाग पर। शनिवार को आशुतोष ने चंडीगढ़ में दम तोड़ दिया, जिसके बाद रविवार सुबह शव के यहां आने पर उसका पोस्टमार्टम कराया गया।

सोशल मीडिया पर घटना को लेकर मैसेज वायरल होना शुरू हुआ तो नगर विधायक संजय गर्ग पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि यह जिला प्रशासन की संवेदनशून्यता का प्रतीक है कि हादसे के बाद कोई भी अफसर पीड़ित का हाल लेने नहीं पहुंचा। इस मामले में पीड़ित के परिवार को पचास लाख की आर्थिक मदद दी जानी चाहिये, पीड़िता को सरकारी नौकरी और संबंधित बिजली विभाग के कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उधर, भाजपा के पूर्व विधायक राजीव गुंबर शासन से पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद दिलाने का वादा कर रहे हैं। हालांकि अभी बिजली विभाग की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।


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