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जनपद में दस हजार से अधिक बच्चे अति कुपोषण का शिकार

सहारनपुर : सरकार की लाख कोशिश के बावजूद कुपोषण की समस्या समाप्त होने को नाम नहीं ले र

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 11:16 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 11:16 PM (IST)
जनपद में दस हजार से अधिक बच्चे अति कुपोषण का शिकार

सहारनपुर : सरकार की लाख कोशिश के बावजूद कुपोषण की समस्या समाप्त होने को नाम नहीं ले रही है। कुपोषण के शिकार अनेक बच्चे दम तोड़ देते हैं। सरकार द्वारा दिए जाने वाले पुष्टाहार से हर माह हजारों बच्चों को कुपोषण से निकाले जाने के बावजूद यह संख्या कम नहीं हो रही है। जनपद में दस हजार से अधिक बच्चे अति कुपोषण का शिकार हैं।

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पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में कुपोषण से मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है। गर्भावस्था के दौरान आयरन की अत्यधिक कमी से (एनीमिया) नवजात शिशुओं के मानसिक विकास में कभी ठीक न हो सकने वाली क्षति की संभावना भी बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमी से कम वजन के बच्चे का जन्म, मृत बच्चे का जन्म तथा बार-बार गर्भपात होना, गर्भ में पल रहे बच्चे में शारीरिक व मानसिक विकार, कम बुद्धि वाले बच्चे का जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है।

कुपोषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ 0-6 वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें कुपोषण से पोषण में लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। जिसमें मध्याह्न भोजन आदि योजनाओं को लागू करके कुपोषण को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है, इतना ही जिला कार्यक्रम विभाग द्वारा महिलाओं व बच्चों को पुष्टाहार वितरित कर उन्हें जागरूक करने का काम किया जा रहा है।

लंबाई नापने के नहीं यंत्र

जिला कार्यक्रम विभाग को बच्चों के वजन तौलने के लिए तो मशीन मिलती है, परंतु आज भी विभाग के पास बच्चों की लंबाई नापने का कोई यंत्र नहीं है। इनके द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का वजन किया जाता है और यहीं पर उन्हें पुष्टाहार वितरित किया जाता है।गर्भवती महिलाओं के लिए भी पौष्टिक भोजन की व्यवस्था इनके द्वारा की जा रही है। इनका कहना है..

जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिता सोनकर का कहना है कि कुपोषण के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में अप्रैल माह में 0 से 6 साल तक के बच्चों का सर्वे किया गया था। सर्वे में 3,71,191 बच्चे पाए गए थे। इनमें जुलाई माह में 2,87,778 बच्चों का वजन कराया गया था। जिसमें 2,37,894 बच्चे सामान्य श्रेणी के पाए गए थे। 39050 बच्चे अल्प वजन के मिलने के कारण इन बच्चों को पीली श्रेणी में रखा गया तथा 10834 बच्चे अति कुपोषित पाए जाने के कारण इन्हें लाल श्रेणी में रखा गया। इनका कहना है कि सरकार द्वारा 25 अगस्त को पोषण अभियान की शुरुआत की गई। जिसमें प्रत्येक जनपद में जिला स्तर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व उप केंद्र स्तर पर सुपोषण स्वास्थ्य मेलों को आयोजन किया गया।


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