सही दाम न मिलने पर ग्रामीणों को दे दी 32 बीघा धान की फसल
स्वार खून पसीना एक कर पैदा की गई फसल के सही दाम न मिलने पर स्वार तहसील के नबीगंज गांव नि
स्वार : खून पसीना एक कर पैदा की गई फसल के सही दाम न मिलने पर स्वार तहसील के नबीगंज गांव निवासी दो भाइयों जितेंद्र सिंह व महेंद्र सिंह का हौसला टूट गया है। दोनों ने अपने 32 बीघा खेत में खड़ी धान की फसल को फोकट में गांव वालों के हवाले कर दिया। सरकार ने धान खरीद के दौरान किसानों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए पूरी व्यवस्था की है। लेकिन, शर्त यह भी है कि उसी धान को खरीदा जाएगा, जिसमें रिकवरी 67 फीसद है। क्षेत्र में कुछ किसानों के 26-26 प्रजाति का धान भी लगाया था, जिसमें रिकवरी कम है। इस कारण इसे केंद्रों पर नहीं खरीदा जा रहा। बाजार में इस धान के दाम एक हजार रुपये क्विटल भी नहीं मिल पा रहे। इससे परेशान होकर इन दो भाइयों ने ऐसा निर्णय ले डाला। 32 बीघा खेत में खड़ी अपनी फसल को गांववासियों को सौंप दी। जैसे ही उन्होंने इसकी घोषणा की, गांव वाले पहुंचे और खेत की ओर दौड़ पड़े। फसल को काट कर घर ले जाने की आपाधापी मच गई। पीड़ित किसानों ने बताया कि उनके चाचा गुरमीत सिंह क्रय केंद्र से लेकर बिलासपुर मंडी तक धान लेकर गए। लेकिन, कमी बताकर सभी ने लेने से इन्कार कर दिया। समोदिया केंद्र प्रभारी अकरम अली ने भी धान तोलने से मना कर दिया। खेत से धान कटवाने में दो हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से कंबाइन का खर्च आता है। खेत से पराली उठाने का एक हजार रुपये व ट्रैक्टर ट्रालियों से केंद्र तक ले जाने का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा था। मंडियों में एक हजार रुपये तक धान बिक रहे हैं। लगाई से कटाई तक की पूरी जमा भी लौट कर नहीं आ रही है। अभी ढाई सौ क्विटल धान घर में पड़े हैं। ऐसे में हमने दुखी होकर पूरी फसल ग्रामीणों के हवाले कर दी। वहीं समोदिया केंद्र प्रभारी अकरम अली ने बताया कि उनके ऊपर लगाया गया आरोप निराधार है। वे लोग केंद्र पर धान लेकर ही नहीं आए हैं। अगर उनका धान 26-26 प्रजाति का है तो उसमें 67 फीसद रिकवरी नहीं है। इसलिए उसे नहीं खरीदा जा रहा है। क्रय केंद्रों पर पूरी नजर रखी जा रही है। किसानों द्वारा धान की फसल को गांव वालों के हवाले करने का मामला सामने आया है। लेखपाल को मौके पर भेज जांच करवाई जा रही है।
यमुनाधर चौहान, उप जिलाधिकारी।