तीन तलाक देने वाले गुनहगार, सजा दे सकती है सरकार
केंद्र सरकार तीन तलाक की मनमानी को रोकने के लिए एक बार फिर संसद में बिल लेकर आई है।
मुस्लेमीन, रामपुर: केंद्र सरकार तीन तलाक की मनमानी को रोकने के लिए एक बार फिर संसद में बिल लेकर आई है। इसमें तीन साल सजा का भी प्रावधान है, विपक्षी दल भले ही इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन रामपुर के उलमा सजा के पक्ष में हैं। कहते हैं कि सजा मिलने से तीन तलाक पर रोक लगेगी। हजरत उमर के दौर में तो तीन तलाक देने वालों को कोड़े मारे जाते थे।
देश में तीन तलाक का मुद्दा करीब दो साल से सुर्खियों में है। इसे लेकर मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचीं। 22 अगस्त 2017 को देश की सबसे बड़ी अदालत ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया। साथ ही केंद्र सरकार को कानून बनाने की नसीहत दी। इसके बाद से ही केंद्र सरकार कानून बनाने में लगी है, लेकिन विपक्ष विरोध करता रहा है। राज्यसभा में इसे मंजूरी नहीं मिल सकी तो सरकार ने अध्यादेश के जरिये कानून बना दिया। अब तीसरी बार लोकसभा में बिल पेश किया गया है। इस बार भी विपक्ष इसका विरोध कर रहा है, लेकिन उलेमाओं की माने तो तीन तलाक में सजा का प्रावधान गलत नहीं है। रामपुर की शरई अदालत के नायब सदर मुफ्ती मुहम्मद मकसूद कहते हैं कि एक बार में तीन तलाक देना गलत है। तीन तलाक देने वालों को अगर सरकार सजा देना चाहती है तो इसपर हमें कोई एतराज नहीं है, क्योंकि इससे तलाक के वाकियात कम होंगे। इससे दूसरे मुसलमानों को भी सबक हासिल होगा और गुस्से में आकर अपने घर को बर्बाद नहीं करेंगे।
जमीअत उलमा-ए- हिद के जिला सदर मौलाना असलम जावेद कासमी कहते हैं कि एक साथ तीन तलाक दिया जाना गुनाह है। ऐसे तमाम मुसलमान है जो तीन तलाक और एक तलाक का फर्क ही नहीं समझते हैं। जमीअत ने उन्हें यह फर्क समझाने के लिए मुहिम चलाई। मीटिग कर लोगों का बताया कि एक साथ तीन तलाक हरगिज न दें। इससे उनका परिवार बर्बाद हो जाता है। एक साथ न दें तीन तलाक
मुफ्ती मकसूद कहते हैं कि शरई ऐतबार से एक साथ तीन तलाक दिया जाना गलत है। अगर पति-पत्नी का एक साथ रहना मुश्किल हो जाए तो उन्हें चाहिए कि चार गवाहों की मौजूदगी में तलाक की बात शुरू करें। मर्द एक तलाक देने के बाद औरत से कहें कि अगर वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आई तो अगले महीने वह दूसरी तलाक दे सकता है। अगर औरत सही रास्ते पर आ जाती है तो वह उसे अपने निकाह में वापस ले सकता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो वह दूसरे महीने उसे दूसरी तलाक देगा और कहेगा अगर वह फिर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आई तो अगले माह तीसरी तलाक दे सकता है। इसके बाद तीसरी तलाक दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जो लोग शरीयत और तलाक के बारे में सही जानकारी नहीं रखते हैं, वे ही एक बार में तीन तलाक देते हैं, ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए। वह कहते हैं कि हजरत उमर के दौर में तीन तलाक देने वाले को सजा के तौर पर कोड़े मारे जाते थे। उनका कहना है कि सरकार शरीयत में दखल न दे, क्योंकि तलाक तो शरई ऐतबार से ही होगा और मुसलमान शरीयत को ही मानेंगे।
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