कानून के खौफ से थम गई तीन तलाक
कानून के खौफ से थम गई तीन तलाक
रामपुर : मोदी सरकार ने तीन तलाक प्रथा रोकने के लिए कानून बनाया है। इस कानून के खौफ से तीन तलाक पर ब्रेक लग गया है। शरई अदालत में तो सालभर से तीन तलाक का एक भी मामला नहीं आया है, जबकि पहले यहां महीने कई मामले आते थे। शरई अदालत के काजी कहते हैं कि कानून के खौफ की वजह से ही तीन तलाक प्रथा पर रोक लगी है।
तीन तलाक विधेयक लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया है। इसे कानून बनाने को लेकर सरकार भी लंबे समय से प्रयासरत थी। दरअसल, तीन तलाक के मामले में मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गईं। 22 अगस्त 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया। इसके बाद से ही सरकार ने इसे रोकने के लिए कानून बनाने की ठान ली। अब आकर सरकार को संसद के दोनों सदनों में इससे से संबधित विधेयक को पास कराने में सफलता मिल गई । इस कानून में तीन साल सजा का भी प्रावधान है। शरई अदालत में कोई मामला नहीं आया
रामपुर में शरई अदालत भी है। मदरसा जामे उल उलूम फुरकानिया मिस्टन गंज में दारुल कजा ( शरई अदालत) भी लगती है। यहां इसकी स्थापना 1972 में हुई, लेकिन 2011 में यह मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से मान्य हुई। यहां तलाक, मेहर और जायदाद आदि से संबंधित मुकदमे तय होते हैं। इस अदालत के सदर शहर इमाम मुफ्ती महबूब अली हैं, जबकि नायब सदर मुफ्ती मकसूद हैं। इसके काजी मौलवी मोहम्मद अय्यूब हैं। मुफ्ती मकसूद कहते हैं कि तीन तलाक से संबंधित मुकदमे अब बहुत कम आ रहे हैं। जब से सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है, तब से ऐसे मामले कम हो गए हैं। पहले महीने में दो तीन मामले आ जाते थे, लेकिन इस साल के छह माह में कोई मामला सामने नहीं आया है। कानून के खौफ से लोग तीन तलाक नहीं दे रहे हैं। यह अच्छी बात है। हम पहले से ही लोगों को समझा रहे हैं कि वे तीन तलाक हरगिज न दें, क्योंकि तीन तलाक देना शरई ऐतबार से गलत है। काजी मोहम्मद अय्यूब कहते हैं कि जो मुकदमे आ रहे हैं, उनमें पति पत्नी के बीच सुलह कराई जा रही है। हम तलाक कराने पर नहीं, बल्कि सुलह कराने पर जोर देते हैं।
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