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रामपुर में नवाब रजा अली खान के दौर में ही बन गया था अनिवार्य शिक्षा का कानून

13 दिसंबर 1943 को उन्हे अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय ने डॉक्टर आफ लॉ की उपाधि प्रदान की। छह अप्रैल 1946 को वह अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर भी बने।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 11:16 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 07:02 AM (IST)
रामपुर में नवाब रजा अली खान के दौर में ही बन गया था अनिवार्य शिक्षा का कानून
रामपुर में नवाब रजा अली खान के दौर में ही बन गया था अनिवार्य शिक्षा का कानून

रामपुर (मुस्लेमीन)। भारत सरकार ने आजादी के लंबे समय बाद शिक्षा का अधिकार कानून बनाया, जबकि रामपुर में आजादी से पहले ही अनिवार्य शिक्षा कानून बन गया था। इसके बनने के बाद जिले में बड़े पैमाने पर स्कूल-कॉलेजों का निर्माण कराया गया। यह कार्य नवाब रजा अली खान के दौर में हुआ। 

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प्रदेश में सबसे ज्यादा कालेज हैं रामपुर में 

रामपुर में अब भी प्रदेश में सबसे ज्यादा राजकीय कॉलेज हैं। इनमें ज्यादातर की नींव नवाब ने ही डाली। आखिरी नवाब के नाम के साथ ही उनके पिता, बेटों और बेटियों के नाम पर भी कॉलेज हैं। रामपुर नवाब ने बनारस ङ्क्षहदू यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को भी आर्थिक सहायता मुहैया कराई। एएमयू के तो वह चांसलर भी रहे। नवाब रजा अली खान रामपुर के आखिरी नवाब थे। आजकल इनकी अरबों रुपये की संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। उनके दौर में रामपुर का तेजी से शैक्षिक विकास हुआ। उन्होंने जब राज्य की कमान संभाली थी, तब यहां केवल नवीं क्लास तक का एक स्कूल हुआ करता था। लेकिन, उन्होंने शिक्षा पर विशेष जोर दिया। शिक्षा बोर्ड का गठन किया। उन्होंने राजगद्दी संभालने के दो वर्ष बाद ही1932 में लड़कियों की शिक्षा के लिए खुर्शीद गल्र्स स्कूल की स्थापना कराई। खुर्शीद लका उनकी बेटी का नाम है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में दो सौ स्कूल और प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर एक गल्र्स स्कूल भी खुलवाया। 

रामपुर में उनके नाम से राजकीय रजा इंटर कॉलेज, उनके पिता नवाब हामिद अली खां के नाम से राजकीय हामिद इंटर कालेज, बड़े बेटे के नाम से राजकीय मुर्तजा इंटर कालेज, दूसरे बेटे के नाम से जुल्फिकार इंटर कालेज, बेटी के नाम से कमर लका स्कूल है। 

बनारस यूनिवर्सिटी को भी दी आर्थिक मदद 

वरिष्ठ अधिवक्ता शौकत अली खां ने रामपुर का इतिहास लिखा है, जो रजा लाइब्रेरी में उपलब्ध है। इसमें आखिरी नवाब के दौर में रामपुर में हुए शैक्षिक विकास का जिक्र है। शौकत खां कहते हैं कि 1941 में खुला बाकर स्कूल रियासत का पहला स्कूल था, जिसमें लड़कों और लड़कियों की सह शिक्षा शुरू की गई। उनके दौर में ही 1945 में लाजमी इब्तेदाई तालीम रियासत रामपुर (अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा रियासत रामपुर) कानून लागू किया गया। उन्होंने रामपुर से बाहर के शैक्षिक संस्थानों की भी भरपूर मदद की। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और बनारस ङ्क्षहदू यूनिवर्सिटी को उस दौर में एक-एक लाख रुपये की मदद दी और पांच सौ रुपये महीना वजीफा दिया। जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली को भी एक लाख रुपये और दो सौ रुपये महीना वजीफा दिया। शिया कॉलेज लखनऊ और इमामुल मदारिस अमरोहा को भी बराबर आर्थिक सहायता देते रहे। बरेली कॉलेज बरेली को अपनी इमारत के विस्तार के लिए जमीन की जरूरत थी तो नवाब रजा अली खान 21 हजार गज जमीन कॉलेज को भेंट की थी। इस्लामिया कॉलेज पेशावर पाकिस्तान को भी उन्होंने 15 हजार की आर्थिक सहायता मुहैया कराई थी। 


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