सपा सरकार लेना चाहती थी मुकदमा वापस
सपा सरकार लेना चाहती थी मुकदमा वापस
जागरण संवाददाता, रामपुर : जिन आतंकवादियों को आज फांसी की सजा सुनाई गई है, इनका मुकदमा वापस लेने के लिए सपा शासनकाल में प्रयास किए गए थे, लेकिन तब प्रशासन ने मुकदमा वापसी पर आपत्ति लगा दी थी।
समाजवादी पार्टी ने 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में यह घोषणा भी की थी कि बेगुनाहों को आतंकवादी मुकदमों से रिहा कराया जाएगा। उनके मुकदमे वापस लिए जाएंगे। सपा ने सत्ता में आने के बाद इस पर अमल करने का भी प्रयास किया। सरकार ने रामपुर का मुकदमा वापस लेने के लिए जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी, लेकिन तब प्रशासन ने रिपोर्ट दी थी कि यह मुकदमा वापस लेना ठीक नहीं रहेगा, गंभीर मामला है और मुकदमा अदालत में विचाराधीन है। इस पर शासन ने मुकदमा वापस नहीं लिया था। तब कुछ लोगों ने मुकदमा वापसी की प्रक्रिया का विरोध भी किया था, जबकि कुछ लोग चाहते थे कि मुकदमे वापस हों। रामपुर में उन दिनों आइएसआइ के चार एजेंटों का मामला भी विचाराधीन था। यह मुकदमा भी वापस नहीं हो सका था। इनसे मुकदमा वापस लेने के लिए भी कुछ संगठनों ने मांग थी, लेकिन अदालत ने इन्हें बरी कर दिया था। आतंकियों के अधिवक्ता जमीर रिजवी बताते हैं कि मुकदमा वापसी का मामला अदालत तक नहीं पहुंच सका था। ऐसा कोई आदेश मुकदमे की फाइल में भी नहीं है।