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परवान नहीं चढ़ सकी सायल हेल्थ मैनेजमेंट स्कीम

मिट्टी की उर्वरक क्षमता की जांच के लिए किसानों को भटकने से बचाने को सरकार ने सायल हेल्थ मैनेजमेंट स्कीम शुरू की थी। इसके तहत गांवों में ही मृदा परीक्षण के लिए प्रयोगशाला स्थापित की जानी थी ताकि किसानों को मिट्टी की जांच के लिए जिला मुख्यालय तक न आना पड़े। लेकिन योजना अभी तक कागजों में सिमटी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 11:27 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 11:27 PM (IST)
परवान नहीं चढ़ सकी सायल हेल्थ मैनेजमेंट स्कीम
परवान नहीं चढ़ सकी सायल हेल्थ मैनेजमेंट स्कीम

रामपुर : मिट्टी की उर्वरक क्षमता की जांच के लिए किसानों को भटकने से बचाने को सरकार ने सायल हेल्थ मैनेजमेंट स्कीम शुरू की थी। इसके तहत गांवों में ही मृदा परीक्षण के लिए प्रयोगशाला स्थापित की जानी थी, ताकि किसानों को मिट्टी की जांच के लिए जिला मुख्यालय तक न आना पड़े। लेकिन, योजना अभी तक कागजों में सिमटी हुई है। इस पर अमल न होने से किसान आज भी मिट्टी की जांच के लिए भटक रहे हैं।

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जमीन की उर्वरा क्षमता का पता लगाने के लिए जिले में केवल एक प्रयोगशाला है। किसानों को मिट्टी की जांच के लिए यहां के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस परेशानी को देखते हुए शासन ने गांवों में ही प्रयोगशाला स्थापित करने का निर्णय लिया था, ताकि किसानों को भटकना न पड़े। लेकिन, अभी तक यहां किसी भी गांव में प्रयोगशाला स्थापित नहीं हो सकी है। शासन की ओर से किसानों उनके ही गांव में मिट्टी की जांच के लिए योजना तैयार की गई है। कई जनपदों में इसे शुरू भी कर दिया गया है। जिले में भी इसे प्रारंभ करने की कवायद शुरू की गई थी। इसके लिए कृषि विभाग को हर विकास खंड से कुछ माडल गांवों का चयन करने के लिए कहा गया था। इस पर छह ब्लाकों में माडल गांव चयनित किए गए हैं। प्रत्येक ब्लाक से 21 गांवों का चयन किया गया है। उसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए अब तक कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई गई है। विभाग का कहना है कि अभी शासन स्तर से ही कोई आदेश इस विषय में प्राप्त नहीं हुए हैं। योजना से किसानों को होगा यह लाभ

अब तक केवल जनपद स्तर पर ही एक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला है। जिले भर के गांवों के किसान इस पर ही निर्भर हैं। इसमें उनके समय और पैसे की अतिरिक्त बर्बादी होती है। लेकिन, गांवों में प्रयोगशाला स्थापित होने के बाद उन्हें यहां नहीं आना पड़ेगा। गांव के युवाओं को मिलेगा रोजगार

गांवों में प्रयोगशाला स्थापित होने पर गांव के बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी मिलेगा, वहीं किसानों को उनके अपने गांव में ही सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। इसके लिए सरकार 75 प्रतिशत तक अनुदान भी देगी। कृषि उप निदेशक नरेंद्र पाल ने बताया कि जनपद में कुल 126 माडल गांवों का चयन किया गया है। प्रत्येक ब्लाक से 21 गांव लिए गए हैं। उसके बाद अभी इस विषय में शासन से कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।


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