बुजुर्गों के लिए जानलेवा है कड़ाके की ठंड, बरतें सावधानी
बुजुर्गों के लिए जानलेवा है कड़ाके की ठंड बरतें सावधानी
जागरण संवाददाता, रामपुर : जिले में सर्दी का सितम जोरों पर है। खासकर वृद्धजन के लिए यह मौसम बेहद परेशानी भरा रहता है। उन्हें ऐसे में बहुत ही देखभाल की जरूरत होती है। नए साल में बुजुर्गों को विशेष रूप से ठंड के कम होने की उम्मीद थी। शुरुआती सप्ताह में आसमान से बरसती गुनगुनी धूप ने उन्हें खुश भी किया था, लेकिन दूसरा सप्ताह बीतते ही मौसम पलटी मार बैठा। अब दोबारा से आई ठंड ने उनकी मुसीबत और बढ़ा दी है।
इस साल कड़ाके की ठंड पड़ी है। पिछले पांच दिनों से बारिश और कोहरे ने ठंड और भी बढ़ा दी है। ऐसे में यह सर्दी बुजुर्गों पर भारी पड़ रही है। अस्पतालों में रोज बड़ी संख्या में बुजुर्ग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जिला चिकित्सालय में तैनात डॉ. दशरथ सिंह का कहना है कि बुजुर्गों को सर्दी में अक्सर सांस की समस्या का सामना करना पड़ता है। हार्ट फेल के मामले भी इस मौसम में बढ़ जाते हैं। इसके अलावा सर्दी में स्ट्रोक और निमोनिया का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। अत: ऐसे मौसम में लापरवाही बिल्कुल नहीं बरतनी चाहिए। हृदय रोगियों, खासतौर से बुजुर्गों को छाती में दर्द हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं। हृदय रोगों की नियमित जांच कराएं और नियमित दवा लें। सांस फूलने, बायें कंधे, हाथ या सीने में दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ठंडक में बुजुर्गों की सेहत को खतरा काफी बढ़ जाता है। इसमें शरीर अचानक ठंडा पड़ जाता है और बेहोशी के साथ दिल की धड़कन धीमी हो जाती है। उनका कहना है कि सर्दियों में तापमान कम होने पर वृद्धों और बच्चों को खतरा बना रहता है। ऐसे मौसम में शरीर को जितनी गर्मी की आवश्यकता होती है, उतनी वह बना नहीं पाता है। इससे परेशानी बढ़ जाती है। इस दौरान वे अधिकतर हाईपोथर्मिया के शिकार होते हैं। क्योंकि ठंड से बचाव की प्रणाली उम्र बढ़ने के साथ कमजोर हो जाती है। इसके अलावा सबक्युटेनियस वसा में भी कमी आ जाती है। उनके अनुसार सर्दी-जुकाम होने पर सीधे दवा विक्रेता से दवा लेकर स्वयं ही इलाज कर लेना भी इसका कारण बन सकता है। क्या हैं इसके लक्षण
धीमी, रुकती आवाज, आलस्य, कदमों में लड़खड़ाहट, हृदयगति और सांस और ब्लड प्रेशर बढ़ना हाइपोथर्मिया के लक्षण हैं। बुजुर्गों को, खासकर जिनको मधुमेह या इससे जुड़ी बीमारियां हैं या जो मदिरापान या ड्रग का प्रयोग ज्यादा करते हैं, उन्हें इसका अधिक खतरा रहता है। कैसे करें बचाव
डॉ. दशरथ के अनुसार प्राथमिक उपचार के तौर पर मरीज को सबसे पहले बंद गर्म कमरे में लिटा दें। गीले कपड़े उतार कर गर्म कपड़े पहना दें। इसके बाद उन्हें गर्मी पहुंचाने की व्यवस्था करें। ध्यान रहे आपको सीधे हीट का प्रयोग नहीं करना है। टांगों और कंधों को गर्म रखने के लिए कंबल का प्रयोग करें।
घर के अंदर भी सिर को पूरी तरह ढंक कर रखें। ठंड में बाहर जाते समय, टोपी, स्कार्फ और दस्ताने अवश्य पहनें, ताकि शरीर की गर्मी कम न हो। सिर को ढंकना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि अधिकतर गर्मी सिर के जरिए बाहर जा सकती है। गर्मी को शरीर के अंदर बनाए रखने के लिए गर्म ढीले कपड़ों की कई परतें पहन कर रखें।