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चर्चित कारतूस घोटाले में साढ़े नौ साल में पूरी हुई दूसरी गवाही Rampur News

29 अप्रैल 2010 को एसटीएफ ने किया था घोटाले का पर्दाफाश। सिविल लाइंस क्षेत्र से घोटाले के सूत्रधार को किया था गिरफ्तार।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 09:02 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:10 PM (IST)
चर्चित कारतूस घोटाले में साढ़े नौ साल में पूरी हुई दूसरी गवाही Rampur News

रामपुर, जेएनएन। प्रदेश के चर्चित कारतूस घोटाले में साढ़े नौ साल में दो गवाहों की गवाही पूरी हो गई है। इसमें एक पुलिस कर्मी की गवाही के लिए लगातार दो दिन सुनवाई की गई।

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यह है पूरा मामला 

कारतूस घोटाले का पर्दाफाश 29 अप्रैल 2010 को एसटीएफ लखनऊ की टीम ने किया था। एसटीएफ ने घोटाले के मुख्य सूत्रधार सेवानिवृत्त दारोगा यशोदानंद, सीआरपीएफ जवान विनोद पासवान और विनेश कुमार को गिरफ्तार किया था। उनके कब्जे से करीब ढाई ङ्क्षक्वटल कारतूस के खोखे और 1.76 लाख रुपये बरामद किए थे। सिविल लाइंस कोतवाली में एसटीएफ के दारोगा अमोद कुमार की ओर से मुकदमा दर्ज हुआ था। जांच के बाद पुलिस ने विभिन्न जिलों में तैनात आर्मरर गिरफ्तार किए थे। बाद में सभी जमानत पर छूट गए थे। इनके खिलाफ मुकदमा स्थानीय अदालत में चल रहा है। लंबे समय तक गवाहों के न आने से सुनवाई नहीं हो पा रही थी। इस दौरान घोटाले के मुख्य सूत्रधार यशोदानंद की मौत हो गई थी। 

सुनवाई में आई तेजी

अब यह मामला अपर जिला जज द्वितीय के न्यायालय में चल रहा है और इसकी सुनवाई में तेजी आ गई है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमित कुमार सक्सेना ने बताया कि अब तक सिर्फ मुकदमे के वादी ने ही गवाही दी थी लेकिन, जिरह न होने के चलते उनकी गवाही पूरी नहीं हुई थी। इस पर कोर्ट ने सख्ती शुरू कर दी। गवाह के वेतन तक रोकने के आदेश कर दिए थे। कोर्ट की सख्ती के कारण दो माह पहले वादी की गवाही पूरी हो सकी। इसके बाद अदालत ने दूसरे गवाह को तलब कर लिया। दूसरे गवाह दारोगा देवकी नंदन हैं, जिन्होंने विवेचना में अहम भूमिका निभाई। वह वर्तमान में एसपी देहात बरेली कार्यालय के वाचक हैं। 

सोमवार को अदालत में उनकी गवाही हुई, लेकिन जिरह नहीं हो सकी थी। इस पर अदालत ने मंगलवार को फिर सुनवाई की। अदालत ने अब तीसरे गवाह सेवानिवृत्त सीओ रईसपाल को बुलाया है। वह घटना के समय सिविल लाइंस कोतवाल थे। अदालत अब दो जनवरी को सुनवाई करेगी। आइजी रमित शर्मा ने भी इस मुकदमे की पूरी जानकारी पुलिस से मांगी है। दरअसल, जब यह मुकदमा दर्ज हुआ था, तब शर्मा रामपुर में पुलिस अधीक्षक थे। 


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