नालों से सम्बंध बिगाड़ रहा नदियों की सेहत
रामपुर : नदियों का नालों से पुराना संबंध है। नालों से बने संबंध अब नदियों की सेहत बिगाड़
रामपुर : नदियों का नालों से पुराना संबंध है। नालों से बने संबंध अब नदियों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। नालों का दूषित पानी नदियों में गिर रहा है, जिससे नदियों का पानी दूषित हो गया है। जिले की नदियों की बात करें तो इनका पानी अब पशुओं के पीने लायक भी नहीं रह गया है। जिले से होकर मुख्य रूप से कोसी और रामगंगा नदी बहती है। इसके अलावा कई सहायक नदियां जैसे बहल्ला, पीलाखार, भाखड़ा आदि हैं। इन नदियों के पानी की रंगत अब काली पड़ चुकी है। कोसी नदी की बात करें तो यह उत्तराखंड के कौसानी से निकलती है और जिले के सैकड़ों गांवों से होकर गुजरती है। इस नदी में शहर के नालों की गंदगी के अलावा उत्तराखंड की फैक्ट्रियों का कचरा भी फेंका जाता है। इससे कोसी नदी का पानी काला पड़ गया है। नदी में पानी भी बहुत कम है। बारिश के दिनों में बाढ़ आने पर ही कोसी नदी में पानी दूर तक नजर आता है। कोसी नदी में उत्तराखंड के काशीपुर स्थित कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल को छोड़ा जा रहा है। इसके चलते इसका पानी पशुओं क्या, फसलों में ¨सचाई करने के लायक भी नहीं बचा है। नदियों का पानी पीने से पशु बीमार हो रहे हैं, जबकि फसलों में ¨सचाई करने से उसमें रोग लग रहे हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी नदियों को गंदा किया जा रहा है। फैक्ट्रियों द्वारा नदियों में गंदा जल का प्रवाह करने व शहरों जो नदियों की सेहत को बिगाड़ रहा, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। जबकि एनजीटी ने शहर से निकलने वाले गंदे नालों और फैक्टरियों के प्रदूषित जल को सोधन के बाद नदियों में छोड़े जाने के आदेश हैं, लेकिन इन आदेशों का पालन नहीं हो रहा है डीएम महेंद्र बहादुर ¨सह का कहना है कि हमारे यहां बहने वाली नदियों में उत्तराखंड की फैक्ट्रियों द्वारा प्रदूषित किया जा रहा है, जिस पर अंकुश लगाने के लिए वहां के जिला प्रशासन को लिखा जा चुका है। चालू नहीं हो सका करोड़ों की लागत से बना ट्रीटमेंट प्लांट
सपा सरकार में जहां अरबों रुपये के विकास कार्य कराए गए, वहीं इनमें एक सीवर लाइन प्रोजेक्ट भी था। रामपुर जैसे छोटे शहर में सीवर प्रोजेक्ट का शायद शहर के लोगों ने कभी सपना भी नहीं देखा होगा, लेकिन सपा सरकार में नगर विकास मंत्री रहे मोहम्मद आजम खां ने इस योजना पर काम कराया। सत्ता परिवर्तन के बाद काम लटक गया। करीब एक अरब के इस प्रोजेक्ट में पूरे शहर में सीवर लाइन डाली जानी है। इसके लिए शहर को चार जोन में बांटा गया। वर्ष 2006 में जोन वन और जोन टू से सीवर कार्य की शुरुआत हुई। जोन वन में सीवरेज सिस्टम की लागत थी 39.43 करोड़ की, जबकि जोन टू के निर्माण का खर्च था 42.88 करोड़ रुपये। दोनों जोन के लिए अलग-अलग सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण भी प्रस्ताव में शामिल था। सीवर लाइन से होकर गंदगी इसी प्लांट में आनी थी। जोन वन के लिए घाटमपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया, जबकि जोन टू के लिए केमरी रोड पर पहाड़ी गांव में प्लांट बनाया गया। घाटमपुर में ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन इसे चालू नहीं किया जा सका है। इस प्लांट में ही शहर की गंदगी को लाकर साफ किया जाएगा। पालिका के अधिशासी अधिकारी का चार्ज देख रहे एसडीएम सदर राजेश कुमार ने बताया कि सीवर के कनेक्शन किए जा रहे हैं। इसके बाद ही ट्रीटमेंट प्लांट चालू किया जाएगा।