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बच्चों को बड़ों का सम्मान करना सिखाएं अभिभावक

बचों को बड़ों का सम्मान करना सिखाएं अभिभावक

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 11:00 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 11:00 PM (IST)
बच्चों को बड़ों का सम्मान करना सिखाएं अभिभावक
बच्चों को बड़ों का सम्मान करना सिखाएं अभिभावक

रामपुर: जब हमारे घर में बच्चों का आगमन होता है तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। हम उनकी अच्छी परवरिश करना चाहते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि उन्हें अच्छा आचरण और शालीन व्यवहार सिखाना भी हमारा ही फर्ज है। यदि उन्हें प्रारंभ से ही अच्छे आचरण के विषय में नहीं बताया गया तो बच्चा समाज में अभद्र व्यक्ति के रूप में बड़ा होगा। अत: भागमभाग की जिदगी में भी हम इस बात का पूरा ध्यान रखें कि हमारी छोटी सी भूल कहीं भविष्य में पछतावे का कारण न बन जाए। प्रयास करना चाहिए कि हमारा बच्चा समाज में एक अच्छा इंसान बन कर सामने आ सके।

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आज सबसे बड़ी चिता का विषय है कि बच्चे बड़ों का सम्मान करना भूलते जा रहे हैं। बड़ों को प्रणाम करने की प्रथा तो जैसे आज के समय में लुप्त ही हो चली है। अधिक किया तो हाय-हैलो करके काम चला लिया बस। एक समय था जब आयु में छोटे लोग बड़ों के सामने बैठने में भी संकोच करते थे। आज बड़ों के सामने बच्चों के व्यवहार को देख कर आश्चर्य होता है। याद रखिए, घर बच्चों के लिए व्यावहारिक ज्ञान की पाठशाला होती है, जहां बच्चा अपने पैरेंट्स की संगत में रहकर अपने भावी जीवन की भूमिका बनाता है। अच्छे खान-पान, रहन-सहन, चरित्र व संस्कारों का बच्चे पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। बच्चे के संपूर्ण जीवन पर मां व घर-परिवार के सदस्यों के संस्कारों का गहरा प्रभाव पड़ता है। अत: यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अच्छा व्यवहार करें, बड़ों का आदर-सम्मान करें, तो इसके लिए आप को स्वयं भी वैसा ही आचरण करना होगा। यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि बच्चों को शुरुआत से ही मैनर्स-एटीकेट्स सिखाए जाएं। अपने बच्चों को ऐसे संस्कार व शिक्षा दें कि वे बड़ों का आदर करें। उन्हें उचित मान-सम्मान दें व उनका अभिवादन करें। इसके साथ ही बच्चों को छोटों के प्रति प्यार, त्याग व धैर्यपूर्ण व्यवहार करने की शिक्षा देना भी न भूलें। ऐसा तब ही होगा, जब आप स्वयं उनके साथ वैसा आचरण करेंगे। इसके अलावा उनके सुख-दुख में पूरी तरह उनके साथ रहें। इससे आपके व बच्चों के बीच अटूट भावनात्मक रिश्ता बन जाता है। ध्यान रखें कि बच्चों पर आंख बंद करके भरोसा कभी न करें, क्योंकि कभी-कभी यह हानिकारक भी हो जाता है। अत: उन पर पूरी निगरानी भी रखें। -इदरीस अहमद, प्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज शाहबाद


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