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जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में आपत्ति दाखिल

मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में गुरुवार को सुनवाई हुई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:22 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:25 PM (IST)
जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में आपत्ति दाखिल
जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में आपत्ति दाखिल

जागरण संवाददाता, रामपुर: मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों के मुकदमे में गुरुवार को आपत्ति दाखिल कर दी गई। इसपर जवाब देने के लिए सरकारी वकील ने समय की मांग तो अदालन ने अगली सुनवाई को लिए 30 सितंबर लगा दी।

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सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर अपर जिलाधिकारी प्रशासन जगदंबा प्रसाद गुप्ता की अदालत में सुनवाई चल रही है। आजम खां के खिलाफ पिछले साल 30 मुकदमे जमीनें कब्जाने के आरोप में दर्ज कराए गए थे। इस यूनिवर्सिटी का संचालन मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है और आजम खां इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। सपा शासनकाल में जब जमीनों की रजिस्ट्री कराई गई थी, तब सरकार ने उसे स्टांप में छूट दी थी। ट्रस्ट ने कहा था कि वह चैरिटी कार्य करती है और गरीब अल्पसंख्यकों को मुफ्त में शिक्षा देगी। लेकिन, सत्ता बदलने पर भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने मुख्यमंत्री और तमाम अफसरों से शिकायत कर दी कि ट्रस्ट कोई भी चैरिटी का कार्य नहीं कर रही है। इस कारण इसकी जमीनों का सरकार को अधिग्रहण कर लेना चाहिए। प्रशासन ने मामले की जांच पड़ताल में आरोप सही पाए।

इसपर अपर जिलाधिकारी प्रशासन की अदालत में मुकदमा दायर किया गया। इस मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। आजम खां पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने आपत्ति दाखिल करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। जिला शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने बताया कि यूनिवर्सिटी में मस्जिद बनाने का भी आरोप है, इसके जवाब में कहा है कि यूनिवर्सिटी में छात्रावास है और वहां अल्पसंख्यक समाज के छात्र रहते हैं, इसलिए उन्हे इबादत करने के लिए मस्जिद बनाई गई है। इमारतें निर्धारित समय में न बनाने का भी आरोप है, इसके जवाब में कहा है कि जब भी फैकल्टी की परमीशन मिली, तब इमारते बनाई गई हैं। उन्होंने बताया कि हमने इस आपत्ति पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। अब अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।


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